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चीड़ से भरे नीले पहाड़ हैं, लाल नदियाँ हैं, जंगल हैं, दुर्लभ वन्यजीव से परिपूर्ण राष्ट्रीय पार्क हैं, बर्फ से ढंकी पहाड़ियाँ हैं, सड़क पर चलते अचानक बादलों से घिर जाने का सुखद एहसास है तो धार्मिक आस्था के लिए कामाख्या मंदिर है, विश्व का सबसे बड़ा नदी-द्वीप माजुली है, आकाश से बातें करता तवांग है और प्रसिद्ध बौद्ध मठ हैं।
हर तरह के पर्यटकों की पसंद की जगह पूर्वोत्तर में उपलब्ध हैं। पहले उग्रवाद और यातायात के बेहतर साधन के अभाव में लोग यहाँ आने से बचते थे पर अब बहुत कुछ बदल गया है। यही वजह है कि प्रति वर्ष घरेलू और विदेशी सैलानियों की संख्या बढ़ रही है और इसी के साथ पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाएँ जुटाई जा रही हैं।
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गुवाहाटी से दिल्ली के बीच सीधी राजधानी रेल सेवा है जिससे बनारस या कानपुर होते हुए 28 घंटे में पहुँचा जा सकता है। गुवाहाटी और कोलकाता के बीच सुपर फास्ट ट्रेनें चल रही हैं। दक्षिण भारतीय शहरों के लिए पुरी और भुवनेश्वर के रास्ते रोज रेल सेवा उपलब्ध है जबकि गुवाहाटी से पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों - इंफाल, अगरतला, आइजल, दिमापुर (कोहिमा) के लिए नियमित उड़ानें हैं।
गुवाहाटी से ही शिलांग, ईटानगर और तवांग के लिए सड़क यातायात के अलावा हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है। गुवाहाटी से पूर्वोत्तर के हर शहर के लिए सीधी और आरामदायक बसें चलती हैं। पूर्वोत्तर के अधिकांश इलाकों में बिना किसी भय के रात-दिन घूमा जा सकता है। खास बात है कि यहाँ महिलाओं के साथ कभी अभद्र व्यवहार नहीं होता है।
महिला पर्यटक सुरक्षित रहने के एहसास के साथ मौज-मस्ती कर सकती हैं। कहीं भी आने-जाने की पाबंदी नहीं है। सिर्फ अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को इनरलाइन परमिट की जरूरत पड़ती है और इसे पाने की प्रक्रिया काफी सहज है। दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी में इन राज्यों के स्थानीय आयुक्त कार्यालयों में नाम मात्र के शुल्क पर इनलाइन परमिट मिलता।
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