लो भाई अब तो सर्वे और अध्ययन से भी इस बात की पुष्टि हो गई की महिलाओं को रिश्ता टूटने का ज्यादा दुःख नही होता और वे जल्दी ही नए रिश्ते के साथ जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लाने की कोशिश मे लग जाती हैं जबकि पुरुषों को अपनी पत्नी या गर्लफ्रेंड से रिश्ता टूटने के ज्यादा दुःख होता है पर वे उसे जाहिर नही करते।
इसका मतलब तो यह हुआ कि रिश्तों के टूटने के समय महिलायें अपने दुःख को जाहिर कर जल्दी ही भूल जाती हैं जबकी पुरूष इस गम को अपने दिल मे छिपाकर अन्दर ही अन्दर घुटता रहता है। शायद ग़म को जाहिर नही करने के कारन उसका दर्द और बढ़ जाता है। पर आम तौर पर समाज मे इसका उल्टा ही मन जाता है। प्रायः इस तरह के रिश्ते के टूटने पर पुरुषों को दोष दिया जाता है और महिलाओं के दुःख को बढ़ा चढा के दिखने की कोशिश की जाती है।
यह अध्ययन या सर्वे चाहे जहा भी हुआ है पर इस सर्वे को मेरी तरफ़ से भी समर्थन का मत मिलाता है। मैंने अब तक इस तरह के जितने भी रिश्ते देखे वह आम तौर पर लड़के ज्यादा दुखी होते है पर अपने गम को दिल मे छिपा कर रखते है। इसके पहले भी एक सर्वे देखा था जिसमे कहा गया था कि सुंदर औरते बेवफा होती है। यहाँ भी मई कहना चाहूँगा कि अगर बेवफाई का प्रतिशत निकले तो लड़कियां इस मामले मे भी आगे खड़ी नज़र आएँगी। बड़ी आसानी से एक रिश्ता तोड़ कर न्य रिश्ता बना लेती है। साथ साथ अपने हर कदम को सही साबित करने के लिए तर्क गढ़ने के मामले मे भी लड़किया आगे होती है।
जहाँ तक लड़को कि बात है तो रिश्तों मे खुल कर फ्लर्ट करते है पर सामने वाले को भी इस बात का बखूबी पता रहता है कि उनके साथ फ्लर्ट किया जा रहा है। वैसे इसका मतलब ये भी नही कि सारे लड़के बावफा और साडी लड़किया बेवफा होती है। बस इस अध्यन का नतीजा एक प्रवृति या रुझान को दिखता है।
No comments:
Post a Comment