लड़के-लड़कियों का एक दूसरे से प्यार जताना और चुहल सिर्फ मजा लेने की ही चीज नहीं। फ्लर्टिंग आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती है। एक नई रिसर्च तो ये भी कहती है कि फ्लर्टिंग आपकी रोमांटिक जिंदगी की कहानी तय करती है।
बार में अकेले बैठे किसी अजनबी की ओर आपका झुकाव और फिर उसे पास बुलाने के लिए की गई पहल या फिर यूँ ही अकेले बैठ कर उस अजनबी के अपनी ओर आने का इंतजार इन दोनों के बीच का अंतर कोई जान ले तो वो रिश्तों के चक्रव्यूह को समझने की तरकीब जाने लेगा।
कंसास यूनिवर्सिटी में कम्युनिकेशन स्टडीज के प्रोफेसर जेफरी हॉल तो यहीं मानते हैं। जेफरी ने हाल ही में डेटिंग पर जाने वाले लोगों की फ्लर्टिंग के स्टाइल पर एक रिसर्च पूरी की है। रिसर्च के दौरान उन्होंने करीब 5100 लोगों से उनके रोमांस के दौरान की बातचीत और हरकतों के बारे में बात की।
हॉल कहते हैं, 'किसी के बारे में अपने आकर्षण को बताने का तरीका ये जाहिर कर देता है कि पिछले रिश्ते में उसकी क्या चुनौतियाँ रही।' हॉल ये भी मानते हैं, 'इस बारे में लोगों की जागरूकता उन्हें गलतियों से बचा सकती है और प्रेम संबंधों में उन्हें सफलता दिलाने में मददगार साबित होगी।'
हॉल के मुताबिक मुख्य रूप से फ्लर्टिंग के पाँच तरीके होते हैं। पहला है शारीरिक इसमें लोग अपने प्रेमी को अपने यौन इच्छाओं का अहसास दिलाते हैं और अमूमन जल्दी ही रिश्ता बनाने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसा करने वालों के बीच बेहतर यौन संबंध होते हैं और अपने साथी के लिए ज्यादा भावनात्मक जुड़ाव भी।
पारंपरिक फ्लर्टिंग में ये माना जाता है कि लड़कों को पहल करनी चाहिए जबकि लड़कियाँ कुछ कम सक्रियता दिखाएँ। ऐसी स्थितियों में अगर दोनों साथी खुश हों तो रिश्ता ज्यादा गहरा बनता है।
कुछ लोग फ्लर्टिंग करते वक्त बहुत संजीदा और चौकस रहते हैं, वो साथी के साथ अच्छे तरीके से पेश आते हैं और अपनी यौन इच्छाओं को दूसरो पर जाहिर करने से बचते हैं वो जल्दी से आगे भी नहीं बढ़ना चाहते। किसके साथ फ्लर्ट करना है उसका चुनाव भी बड़ी सावधानी से करते हैं इतना ही नहीं अपने साथी में दिलचस्पी जाहिर करने में आमतौर पर बहुत ज्यादा समय लेते हैं, औरों से कुछ अलग करना और रिश्तों को अच्छी तरह से बनने देना इनकी ख्वाहिश होती है। फ्लर्टिंग का ये तरीका तीसरी तरह का है जिसे जेफरी ने पोलाइट फ्लर्टिंग की श्रेणी में डाला है।
चौथी श्रेणी के लोग भी कुछ-कुछ पोलाइट फ्लर्टिंग के जैसे ही होते हैं। वो अपने साथी के साथ भावनात्मक जुड़ाव को सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं। इनका बहुत गहराई से ये मानना होता है कि साथी से निजी बातचीत रोमांस को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है और ये लोग फ्लर्टिंग के दौरान बहुत जल्दी कामयाब होते हैं, इन्हें खुद पर भरोसा होता है और बहुत जल्दी किसी रिश्ते की अहमियत को पहचान लेते हैं। ये फ्लर्टिंग का ईमानदार तरीका है।
बहुत सारे लोगों की फ्लर्टिंग स्टाइल प्लेफुल यानी पाँचवी तरह की फ्लर्टिंग में आती है। ये लोग अपने खुद और खुद की सोच को दूसरों पर डालने की कोशिश करते हैं और आमतौर पर बहुत कम ही पक्के और अच्छे रिश्ते बनाने में कामयाब हो पाते हैं। जेफरी मानते हैं कि ज्यादातर मामलों में फ्लर्टिंग की शुरुआत कैसे हुई इसी बात से ये तय हो जाता है कि रिश्ता कहाँ तक जाएगा यहाँ तक कि शादियों के मामले में भी यही होता है।
बार में अकेले बैठे किसी अजनबी की ओर आपका झुकाव और फिर उसे पास बुलाने के लिए की गई पहल या फिर यूँ ही अकेले बैठ कर उस अजनबी के अपनी ओर आने का इंतजार इन दोनों के बीच का अंतर कोई जान ले तो वो रिश्तों के चक्रव्यूह को समझने की तरकीब जाने लेगा।
कंसास यूनिवर्सिटी में कम्युनिकेशन स्टडीज के प्रोफेसर जेफरी हॉल तो यहीं मानते हैं। जेफरी ने हाल ही में डेटिंग पर जाने वाले लोगों की फ्लर्टिंग के स्टाइल पर एक रिसर्च पूरी की है। रिसर्च के दौरान उन्होंने करीब 5100 लोगों से उनके रोमांस के दौरान की बातचीत और हरकतों के बारे में बात की।
हॉल कहते हैं, 'किसी के बारे में अपने आकर्षण को बताने का तरीका ये जाहिर कर देता है कि पिछले रिश्ते में उसकी क्या चुनौतियाँ रही।' हॉल ये भी मानते हैं, 'इस बारे में लोगों की जागरूकता उन्हें गलतियों से बचा सकती है और प्रेम संबंधों में उन्हें सफलता दिलाने में मददगार साबित होगी।'
हॉल के मुताबिक मुख्य रूप से फ्लर्टिंग के पाँच तरीके होते हैं। पहला है शारीरिक इसमें लोग अपने प्रेमी को अपने यौन इच्छाओं का अहसास दिलाते हैं और अमूमन जल्दी ही रिश्ता बनाने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसा करने वालों के बीच बेहतर यौन संबंध होते हैं और अपने साथी के लिए ज्यादा भावनात्मक जुड़ाव भी।
पारंपरिक फ्लर्टिंग में ये माना जाता है कि लड़कों को पहल करनी चाहिए जबकि लड़कियाँ कुछ कम सक्रियता दिखाएँ। ऐसी स्थितियों में अगर दोनों साथी खुश हों तो रिश्ता ज्यादा गहरा बनता है।
कुछ लोग फ्लर्टिंग करते वक्त बहुत संजीदा और चौकस रहते हैं, वो साथी के साथ अच्छे तरीके से पेश आते हैं और अपनी यौन इच्छाओं को दूसरो पर जाहिर करने से बचते हैं वो जल्दी से आगे भी नहीं बढ़ना चाहते। किसके साथ फ्लर्ट करना है उसका चुनाव भी बड़ी सावधानी से करते हैं इतना ही नहीं अपने साथी में दिलचस्पी जाहिर करने में आमतौर पर बहुत ज्यादा समय लेते हैं, औरों से कुछ अलग करना और रिश्तों को अच्छी तरह से बनने देना इनकी ख्वाहिश होती है। फ्लर्टिंग का ये तरीका तीसरी तरह का है जिसे जेफरी ने पोलाइट फ्लर्टिंग की श्रेणी में डाला है।
चौथी श्रेणी के लोग भी कुछ-कुछ पोलाइट फ्लर्टिंग के जैसे ही होते हैं। वो अपने साथी के साथ भावनात्मक जुड़ाव को सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं। इनका बहुत गहराई से ये मानना होता है कि साथी से निजी बातचीत रोमांस को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है और ये लोग फ्लर्टिंग के दौरान बहुत जल्दी कामयाब होते हैं, इन्हें खुद पर भरोसा होता है और बहुत जल्दी किसी रिश्ते की अहमियत को पहचान लेते हैं। ये फ्लर्टिंग का ईमानदार तरीका है।
बहुत सारे लोगों की फ्लर्टिंग स्टाइल प्लेफुल यानी पाँचवी तरह की फ्लर्टिंग में आती है। ये लोग अपने खुद और खुद की सोच को दूसरों पर डालने की कोशिश करते हैं और आमतौर पर बहुत कम ही पक्के और अच्छे रिश्ते बनाने में कामयाब हो पाते हैं। जेफरी मानते हैं कि ज्यादातर मामलों में फ्लर्टिंग की शुरुआत कैसे हुई इसी बात से ये तय हो जाता है कि रिश्ता कहाँ तक जाएगा यहाँ तक कि शादियों के मामले में भी यही होता है।
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