Monday 28 November 2011

लड़कियाँ --केरियर और प्यार के बीच


बदलते समय के साथ-साथ शिक्षा और कॅरियर विकल्पों के प्रसार-प्रचार में भी महत्वपूर्ण विस्तार और सुधार देखा जा सकता है. अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें अपने से दूर रखना भी स्वीकार कर लेते हैं. यही वजह है कि आज छोटे-छोटे शहरों के बच्चे उज्जवल भविष्य के सपने संजोए बड़े शहरों में पढ़ने और काम करने आते हैं. लेकिन जिस परिवार और अभिभावकों के साथ उन्होंने अपना बचपन गुजारा है उनसे दूर रहना उनके लिए बहुत दुखदायी बन जाता है. नए महौल के साथ सामंजस्य बैठा पाना उनके लिए कठिन हो जाता है.


फिल्मों में भी अकसर आपने यह देखा होगा कि जब भी कोई बच्चा अपने अभिभावकों से दूर रहने या पढ़ने जाता है तो उसे अपने घर की बहुत याद सताती है. कुछ दिनों तक वह ना तो ठीक से खा पाता है ना ही दोस्तों से घुल-मिल पाता है. इतना ही नहीं अगर घर लौटने के उसके सारे प्रयास विफल हो जाएं तो वह निराश और अवसादग्रस्त हो जाता है.


वर्तमान परिदृश्य के मद्देनजर हो सकता है बेपरवाह स्वभाव वाले युवकों की व्यावहारिक मानसिकता को देखते हुए, जो परिवार को एक बंधन से अधिक कुछ नहीं समझते और इससे दूर रहकर ही अपनी स्वतंत्रता का वास्तविक आनंद उठाते हैं, आपको परिवार से दूर रहकर उनका परेशान और निराश होना मात्र एक फिल्मी कहानी लगती हो, लेकिन एक नए अध्ययन ने यह प्रमाणित किया है कि वे लड़के जो परिवार से दूर रहते हैं उन्हें भावनात्मक समझी जाने वाली लड़कियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा अपने परिवार की याद सताती है. विशेषकर मां के बिना रहना उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. वहीं दूसरी ओर वे युवतियां जो बाहर पढ़ने जाती हैं वह नई-नई मिली आजादी का पूरा फायदा उठाती हैं. अपनी मर्जी के अनुसार जीवन जीती हैं और दोस्तों के साथ घूमती-फिरती है.


ब्रिटेन की नेशनल एक्सप्रेस द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह प्रमाणित हुआ है कि घर से दूर रहने वाले लड़के अपनी मां और परिवार को लड़कियों की अपेक्षा कहीं ज्यादा याद करते हैं. अध्ययन में शामिल एक-तिहाई लड़कों का कहना है कि वह दूर रहकर अपनी मां के हाथ का बना खाना और उनका सानिध्य बहुत याद करते हैं. वह सिर्फ अपनी मां के साथ ही रहना चाहते हैं लेकिन लड़कियां जैसे ही नए महौल में खुद को ढाल लेती हैं वह वापस घर जाना नहीं चाहतीं.


इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता कार्ली ऑडोनल का कहना है कि होस्टल में रहना सभी युवाओं को भाता है लेकिन फिर भी उन्हें घर में मौजूद सुख-सुविधाओं और पारिवारिक सदस्यों की बहुत याद आती है.


ब्रिटेन में हुए इस अध्ययन को अगर थोड़ा और विस्तारित किया जाए तो युवावस्था से गुजर रहे लड़कों और लड़कियों की मानसिकता और प्राथमिकताओं के बीच के मौलिक अंतर का आंकलन भी आसानी से किया जा सकता है.


युवावस्था आयु का सबसे कोमल पड़ाव होता है. इस आयुवर्ग के बच्चे गलत और सही में भेद नहीं कर पाते और कहीं जल्दी अपने मार्ग से भटक जाते हैं. भारतीय परिदृश्य में अकसर आपने देखा होगा कि युवकों को तो फिर भी कुछ हद तक अपने इच्छानुसार आने-जाने की स्वतंत्रता मिल जाती है लेकिन परिवार चाहे कितना ही आधुनिक और खुले विचारों वाला क्यों ना हो, बेटियों को ज्यादा स्वतंत्रता देने से बचता ही है. युवकों की अपेक्षा युवतियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं.


एक निर्धारित आयु तक पहुंचने के बाद युवतियां अपने सपनों के राजकुमार के विषय में सोचने लगती हैं. उनकी आंखों में साथी के साथ एक सुखद भविष्य से जुड़े सपने घर करने लगते हैं. किसी फिल्म के नायक के साथ वह अपने राजकुमार की तुलना करने लगती हैं. उनका ड्रीम ब्वॉय कैसा होगा, क्या करता होगा, वह बस इन्हीं ख्यालों में खोई रहती हैं. ऐसे में अगर उन्हें परिवार और घर के बंधनों से बाहर रहने का अवसर मिले तो वह इस ओर ज्यादा आकर्षित होती हैं. परिवार के साथ रहते हुए जहां उन्हें अपनी स्वतंत्रता और आकांक्षाओं का दमन करना पड़ता था, वहीं अब वह स्वच्छंद जीवन व्यतीत कर सकती हैं. वह जब चाहे किसी से मिल सकती हैं और अपने सपनों के राजकुमार की तलाश कर सकती हैं. युवतियों के लिए जीवन में एक विशेष व्यक्ति का आगमन सबसे ज्यादा अहम होता है. अभिभावकों के साथ रहते हुए उन्हें मनचाही स्वतंत्रता नहीं मिल पाती इसीलिए परिवार से दूर रहने के दौरान वह उपलब्ध समय का पूरा आनंद उठाती हैं.


लेकिन युवकों पर घर में रहते हुए भी ज्यादा निगरानी नहीं रखी जाती इसलिए उनके लिए घर से दूर रहना बहुत भारी पड़ जाता है. उनके परिवार वाले कितने ही सख्त या कठोर क्यों ना हों वह उन्हें बहुत याद करते हैं. बाहर का खाना उन्हें बिलकुल पसंद नहीं आता. भले ही वह स्वयं को कितना ही लापरवाह दर्शाते हों लेकिन वे कभी भी अपनी मां के लाड़-प्यार से दूर नहीं रह सकते.


उल्लेखनीय है कि युवकों के लिए सपनों की राजकुमारी जैसी धारणा कुछ ज्यादा महत्व नहीं रखती. वह युवतियों के प्रति चाहे कितनी ही आकर्षित क्यों ना हों वह उन्हें सिर्फ गर्ल-फ्रेंड तक ही रखते हैं. परिपक्वता के पायदान पर पहुंचने के बाद ही उन्हें एक सुयोग्य और मनपसंद साथी की ख्वाहिश रहती है. लेकिन युवतियां प्रायः अल्प-कालिक संबंधों को प्रमुखता नहीं देतीं, वह अपने जीवन में आने वाले पहले पुरुष के साथ ही खुशहाल स्थायी जीवन बसर करना चाहती हैं. घर पर ज्यादा रोक-टोक और अपेक्षित स्वतंत्रता ना मिलने के कारण वह अपने साथी की तलाश नहीं कर पातीं, लेकिन जब उन्हें अकेले रहने का अवसर मिलता है तो वह अपनी दमित इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करती हैं.

प्यार की आहट

अक्सर कई बार होता है जब हम प्यार में होते हैं तो हमें पता नहीं चलता कि हम प्यार में हैं या नहीं. पर यह स्वाभाविक है कि अगर हम प्यार में हैं तो हमारे स्वभाव में कुछ फर्क आ जाता है. प्यार की कब, किसे, कैसे हो जाए- यह कहा नहीं जा सकता है. प्यार जब हो जाए तो चैन नहीं, ना हो तो बेचैनी, हो गया तो समझना मुश्किल, ना हो तो जीना मुश्किल.


ऐसे समय में प्यार को स्वीकार करने में भी हिचकिचाहट होती है और दिल में छुपाने में भी दर्द होता है. जिससे आपको प्यार है उससे आप बता भी नहीं सकते क्यूंकि फिर वही साला “डर” आपको सताएगा. प्यार की आहट को समझना कोई पहाड़ तोड़ने जैसी मुश्किल बात नहीं है. अगर आप प्यार में हैं और आपको जानना है कि प्यार की आहट होती कैसी है तो बस कुछ निम्न बातों पर गौर करें आपको जवाब मिल जाएगा:


एक दिन वह दिखाई न दे तो आपके दिल में अनेक अशुभ बातें आने लगें. दिल बुरी तरह से घबराने लगे.

* उसके बिना जिंदगी नीरस, फालतू, बकवास या आधी-अधूरी लगने लगे.

* किसी को फोन करते समय भूल से उसका मोबाइल नंबर डायल कर दें.

* मोबाइल की घंटी बजने या मिस कॉल आने पर ऐसा लगे उसने ही कॉल किया होगा.

* फोन पर घंटों बातें करने के बावजूद दिल न माने और बातें करने की इच्छा बनी रहे.

* रोमांटिक फिल्म में हीरो की जगह स्वयं को व हीरोइन की जगह उसके होने की कल्पना करने लगें.

* आपको भूख कम लगने लगे या खाने-पीने की सुध न रहे.

* पत्र-पत्रिकाओं में राजनीति, सामाजिक, करियर आदि की खबरों को छोड़कर फैशन, फिटनेस, ब्यूटी टिप्स, माई फस्ट लव, लव टिप्स आदि आप पढ़ना पसंद करने लगें.

* अखबार में पहले उसकी, फिर अपनी राशि देखें.

* आपको अपना डेट ऑफ बर्थ भले याद नहीं हो लेकिन उसके डेट ऑफ बर्थ से लेकर उसके पूरे फैमिली का बायोडाटा जबानी याद हो.

* गजलें और दर्द भरे गीत आप बड़े ध्यान से सुनने लगें. दूसरों को भी ऐसे गीत सुनने की सलाह देने लगें. गजल, शेरो-शायरी पर लंबा लेक्चर देने लगें. मानो उसके बारे में आपको बड़ा नॉलेज है.

* खुद में जादू की शक्ति संचार हो जाने की कल्पना करें. आपको ऐसा लगने लगे कि आप खुद गायब होकर कुछ ही पलों में कहीं से कहीं पहुँच सकते हैं.

* अपने कम्प्यूटर के पासवर्ड में उसके नाम का कोड रखें.

* जब भी वह उठकर कहीं जाए (बाथरूम भी) तो आपकी निगाहें उसका पीछा करती रहें.

* उसके पालतू कुत्ते, बिल्ली को भी चूमने का आपका मन करने लगे.

* आपके पास कैमरा होने पर उसकी ढेर सारी तस्वीरें उतारने का दिल करे.

* जब वह किसी लड़के/ लड़की के साथ बात करे तो आपको ईर्ष्या होने लगे. उस लड़के/ लड़की का गला घोंट देने की इच्छा होने लगे.

* उसकी बेतुकी या बच्चों जैसी हरकतें भी आपको अच्छी लगने लगे.
* आपमें दयालु और उदार के भाव आ जाएं. दूसरों की मदद करना आपको अच्छा लगने लगे.
* रोमांटिक गाने सुनकर आपका मन झूमने के लिए बेताब होने लगे.
* जब बात-बात पर मन खुशी से झूम उठे या मन रोने या रूठने का करने लगे.
* उनका मन में खयाल आते ही दिल में कुछ-कुछ होने लगे.
* आपका दिल हमेशा उससे मिलने के लिए बेचैन रहने लगे.
* उसके आने के पहले बहुत कुछ कहने को मन करे. उसके आने पर कुछ न कह पाएं. लब सिर्फ फड़फड़ाकर रह जाएं. कोई भी नई चीज खरीदने पर आपको लगने लगे पहले उसे दिखाऊं.
* उससे मिलने के लिए जाते वक्त दिल में अजीब-सी गुदगुदी होने लगे. मन प्रफुल्लित होकर शरीर हवा में उड़ने लगे.
* आप अपने बॉडी और फिगर पर अधिक ध्यान देने लगें. इसके लिए जिम आने लगें.
* बार-बार आप खुद को आईने के सामने खड़े पाएं. चेहरे पर हल्की-सी दाग से आपका मन विचलित होने लगे.
* आप अपने बालों का स्टाइल बदल लें. इसके लिए दोस्तों से सलाह लेने लगें.
* आपमें गजब का ड्रेस सेंस आ जाए. हर घंटे ड्रेस बदलने का मन होने लगे या हर रोज नई ड्रेस पहनने या नई ड्रेस खरीदने की इच्छा करने लगे.
* अपनी पसंद-नापसंद को भूल जाएं. उसकी पसंद-नापसंद को ज्यादा एहमियत देने लगें.
* उसकी हर अदा पर हो जाएं आप फिदा.
* आप अपनी लाइफ स्टाइल छोड़कर उसकी लाइफ स्टाइल अपनाने लगें.
* आप उससे दोस्तों के साथ मिलने की बजाय अकेले में मिलना चाहें. उससे अकेले में ही बात करने की इच्छा हो.
* आपका दिल उस पर मर मिटने को होने लगे.
* मैं की बजाय ‘हम’ शब्द का आप अधिकाधिक इस्तेमाल करने लगें.
* फुर्सत के क्षणों में आप रोमांटिक कल्पनाओं में डूब जाएं. आपको लगने लगे, वह आपकी बाहों में है या आप उसकी गोद में सिर रखकर लेटे हैं.
* उसके जैसा कोई खूबसूरत न लगे. सारी दुनिया की लड़कियां उसके सामने बदसूरत और फीकी लगने लगे.

Friday 25 November 2011

फ्लर्टिंग के पांच तरीके

प्यार में एक दूसरे को आकर्षित करने के लिए फ्लर्टिंग करना सिर्फ चुहल नहीं है बल्कि
शोधकर्ताओं का कहना है कि फ्लर्टिंग रोमांटिक जिंदगी की दिशा तय करता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि किसी अजनबी को अपना बनाने

का तरकीब कोई जान ले तो रिश्तों की इस पहेली को सुलझाना आसान हो जाएगा।

कंसास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेफरी हॉल ने 5,100 लोगों पर शोध किया। उन्होंने इन लोगों से प्यार के दौरान की बातचीत और फ्लर्टिंग के बारे में पूछा। उन्होंने पाया कि किसी को अपना बनाने के लिए अपनाएं गए आकर्षण का तरीका यह जाहिर कर देता है कि प्रेम संबंध लंबे समय तक टिकेगा, क्योंकि इस दौरान आने वाली चुनौतियों से भी लोगों को कई सीख मिलती है और यह उन्हें प्रेम संबंधों में सफलता दिलाने में मददगार साबित होती है।

शोधकर्ताओं ने फ्लर्टिंग के पांच तरीके बताएं हैं जो इस प्रकार है।

पारंपरिक फ्लर्टिंग

फ्लर्टिंग का यह पुराना अंदाज माना जाता है इसमें रोमांश की पहल लड़के करते हैं। लड़कियां कुछ सक्रिय रहती हैं। इसमें लड़का लड़की को खुश करने के लिए अलग अलग तरीका अपनाता है। लड़की को अगर उसका फ्लर्टिंग का अंदाज पंसद आता है तो यह रिश्ता गहरा होता है।

पोलाइट फ्लर्टिंग

फ्लर्टिंग के इस तरीके में दोनों बहुत ही सौम्य और एक दूसरे के प्रति काफी संजीदा होते हैं। वे अपनी इच्छाओं को जल्दी जाहिर नहीं करते हैं। वे पार्टनर का चुनाव भी बहुत सोच समझकर करते हैं। पार्टनर में दिलचस्पी जाहिर करने में काफी समय लगा देते हैं।

फीजिकल फ्लर्टिंग

इसमें लोग अपने प्रेमी को अपने शारीरिक हाव भाव से यौन इच्छाओं का अहसास दिलाते हैं और जल्दी ही रिश्ता बनाने में कामयाब हो जाते हैं। इन लोगों के बीच बेहतर यौन संबंध होते हैं। इस संबंध के कारण ये भावनात्मक रूप से भी ज्यादा जुड़ जाते हैं।

ऑनेस्ट फ्लर्टिंग

इस तरह के लोगों को खुद पर भरोसा होता है। अपने पार्टनर के प्रति बहुत इमानदार होते हैं। वे भावनाओं को ज्यादा अहमियत देते हैं। करीब आने के लिए फ्लर्टिंग का सहारा जरूर लेते हैं लेकिन उनका मानना होता है कि रोमांटिक बातचीत रोमांस को आगे बढ़ाने का अच्छा तरीका है। ये लोग प्यार पाने में जल्दी कामयाब होते हैं।

प्लेफुल फ्लर्टिंग

आजकल ज्यादातर लोग प्लेफुल फ्लर्टिंग के ही पक्षधर हैं। ये अपने विचार दूसरों पर लागू करते हैं। ये रिश्ते बनाने में बहुत कम कामयाब होते हैं। क्योंकि ये जल्दी जल्दी पार्टनर बदलते हैं। रिश्ता बनाना इनका मकसद नहीं बल्कि एंजोय करना इनका ध्येय होता है।

लडको में क्या क्या खोजती हैं लड़कियाँ



प्यार, इश्क, मोहब्बत इन शब्दों को पढ़ते ही हमारा मन रुमानी भावों से भर जाता है। इश्क में पड़ते ही हमें हर चीज रंगीन नजर आने लगती है। प्यार के इस रंगीन एहसास को महसूस करने के लिए जरुरत है उस शख्स की, जिसे देख कर हम कह सके कि हां, यही है वह जिसका हमें इंतजार था।

लड़कों के लिए यह पहली नजर का प्यार हो सकता है लेकिन लड़कियों के लिए ऐसा नहीं है। हर लड़की के सपने में उसका राजकुमार रहता है, जिसे वह हकीकत में भी देखना पसंद करती है। अपने मन में बनाई इस रूपरेखा के ही अनुरूप ही वह अपने साथी का चयन करती है। आइए जानते हैं कि लड़कियां अपने साथी में क्या खूबियां चाहतीं हैं।

1 ईमानदारी और विश्वास: ईमानदारी और विश्वास हमेशा से ही एक अच्छे रिश्ते की रीढ़ है। हर लड़की चाहती है कि उसका साथी उस पर यकीन रखे और रिलेशन के प्रति ईमानदार रहे।

2 आदर का भाव: लड़कियां चाहती हैं कि उनका पार्टनर उनकी और उनके परिवार की इज्ज‍त करने वाला हो। साथ ही उसके मन में अन्य लड़कियों के प्रति भी आदर का भाव हो।


3 समानता: आज की लड़कियां चाहती हैं कि उनका पति उन्हें समानता की नजर से देखे। भा‍रत मुख्यत: पुरूष प्रधान देश है। बचपन से ही लड़कियों को अपने पति के अधीन रहने की सीख दी जाती है। बदलते परिवेश के साथ लड़कियों की सोच में भी परिवर्तन हुआ है। उनका मानना है कि पति-पत्नी जीवन रथ के दो पहिए क‍ी तरह हैं जिनका समान होना जरुरी है।

4 भावनाओं की कद्र : लड़कियां चाहती हैं कि उनका पार्टनर उनकी भावनाओं की कद्र करे और हमेशा एक मजबूत आधार की तरह उसका साथ दे।

5 सूरत नहीं सीरत : लड़कियां लड़कों की सूरत से ज्यादा सीरत पर मरती हैं इसलिए वे चाहतीं हैं कि उनका पार्टनर जैसा भी हो पर एक सज्जन पुरुष जरूर हो।

Thursday 24 November 2011

जब करना हो लड़कियों को इंप्रेस



'वाउ यार क्या बॉडी है उसकी', 'ही इज़ सो क्यूट न', 'क्या गाता है यार' ऐसे कई वाक्य आपने अक्सर लड़कियों को कहते सुना ही होगा और लड़कियों को इंप्रेस करने का भी जरुर सोचा होगा।

लड़कियों को इंप्रेस करना भी एक कला है दोस्तों, जिसमें हर कोई माहिर नहीं होता। किसी के पास तो ये खूबियां गॉड गिफ्ट के रूप में होती हैं और किसी के पास नहीं। जिनके पास ये खूबियां नहीं हैं उन्हें निराश होने की जरुरत नहीं है। अपनी पर्सनेलिटी में थोड़ा सा सुधार कर वे भी इस काबिल बन सकते हैं।

चलिए जान लेते हैं कि आखिर क्या हैं वे बातें जिनसे लड़कियां होती हैं इंप्रेस।

अकड़ू : लड़कियां हमेशा ऐसे लड़कों की तरफ ध्यान देती हैं जो उन्हें भाव ही न दें, जिनकी लड़कियों में कोई खासी रुचि ही न हो। तो अगर आपकी लड़कियों को देखकर मचल जाने की प्रवृत्ति है तो जरा संभल जाइए और अपनी भावनाओं पर काबू रखिए। एकदम से उनके सामने ऐसा बिहेव मत कीजिए जिससे उन्हें लगे कि आप उन्हें पसंद करते हैं।

दबंग : लड़कियों को लड़कों का कॉन्फिडेंट नेचर बहुत भाता है। उन्हें शर्मीले और संकोची लड़के बिल्कुल पसंद नहीं हैं। इसलिए कभी भी बात करने में हिचकिचाएं नहीं और खुलकर अपनी बात कहें।


शरीफ : लड़कियां ऐसे लड़कों की तरफ आकर्षित होती हैं जो माचो प्लस जेंटलमेन हों। जो स्वभाव से सरल, सीधे हों लेकिन जरुरत पड़ने पर आक्रामक रुख भी अपना सकें। ऐसे लड़कों के साथ वे खुद को प्रोटेक्टिव फील करती हैं।

गंभीर : लड़कियों को पीछे लगने वाले लड़के कतई पसंद नहीं हैं जो आई लव यू कहते हुए उनके पीछे घूमते रहें। उन्हें वे लड़के पसंद आते हैं जो अपने आत्मसम्मान को बनाए रखें। अगर आपने अपनी फीलिंग्स उन्हें बता दी है तो उनसे हर समय उसका जबाब न मांगें।

इन सब के अलावा लड़कियां लड़कों की कुछ स्पेशल क्वॉलिटीज( सिंगिंग, डांसिंग, पेंटिंग जैसा कुछ भी), स्टाइल स्टेटमेंट और मैनेरिज्म की भी कायल होती हैं। रखिए इन खास टिप्स को अपनी जेब में ताकि अगल‍ी बार जब लड़की रिझाने का मौका मिले तो आप ही बाजी मार ले जाएं।

जिंदगी के 9 जादुई मंत्र

हम हमेशा सोचते हैं कि काश हमारे पास जादू का कोई मंत्र होता, जिससे हम अपनी जिंदगी बेस्ट बना लेते। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने नौ ऐसे ही मंत्रों का पता लगाया है, जो आपकी लाइफ में खुशियां भर देंगे। तो इन मंत्रों को जानकर आप इन्हें अपनी लाइफ में फूंक लें...

ऐश करें: जिंदगी में कुछ भी हो जाए, लेकिन ऐश करने का फंडा कभी न छोड़ें। जिंदगी को जितना मस्ती से जीएंगे, यह आपको उतनी ही अजीज लगेगी। ऐसे में जिंदगी का कोई भी पल जीना आपको भारी नहीं लगेगा। बस हर पल को यही सोचकर जीएं कि इसमें ही पूरी लाइफ जीनी है और अगला पल पता नहीं, हो या न हो।

गलती भूलें, सबक नहीं: जिंदगी में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो दूसरों की गलतियों को इग्नोर करना सीखें। इस तरह की सोच आपको हमेशा सभी के करीब रखेगी और जितना मजबूत आपका दायरा होगा, आपकी जिंदगी की इमारत उतनी ही मजबूत होगी। हालांकि अपनी गलतियों से सीखे सबक आपको कभी नहीं भूलने हैं और हमेशा कोशिश करें कि एक बार जो गलती आपसे हो गई है, उसे आप दोहराएं नहीं।

शॉर्टकट चलता है: जरूरी नहीं कि हमेशा लंबा रास्ता ही सही होता है। आखिर जब जीने के लिए एक ही जिंदगी मिली है, तो कुछ स्टेप्स पर शॉर्टकट क्यों न आजमाए जाएं। इससे लाइफ में कुछ रोमांच आएगा, तो काम निकालने व करने के और तरीकों की जानकारी भी आपको मिलेगी।

जो होगा देखा जाएगा: हर बात पर यह न सोचें कि अब क्या होगा। याद रखें कि आपके हाथ में मौजूदा वक्त में कर्म करना है। इसका फल क्या मिलेगा, यह आप नहीं जानते। इसलिए हर बात पर नतीजों के बारे में ही न सोचते रहें, बल्कि आगे बढ़कर थोड़ा रिस्क लें और कुछ डिफरंट ट्राई करें। हालांकि इस दौरान अपने विवेक व बुद्धि का पूरा इस्तेमाल करें।

टेक इट ईजी: क्या आपको हर बात एक पहाड़ लगती है? अगर हां, तो आप इस बात से भी सहमत होंगे कि इस एटिट्यूड की वजह से आप कोई भी काम आराम से रिलैक्स मूड में नहीं कर पाते होंगे और हर वक्त किसी न किसी चिंता में घुलते रहते होंगे। ऐसे में इस बात को भुलाकर चीजों को फ्री माइंड से लेना सीखें। कुछ दिनों तक इस मंत्र को आजमाएं और फिर देखें कि आपकी जिंदगी कितनी आसान हो जाती है।

रात गई बात गई: हर बात को पकड़कर बैठना अच्छी आदत नहीं है। अगर आप किसी बात पर छह महीने बाद भी लड़ते हैं, तो जरा ध्यान दें कि आप खुद ही अपनी जिंदगी कम कर रहे हैं। ऐसे में छोटी-मोटी बातों को मुद्दा न बनाएं और बातों को भुलाना सीखें। एक बार जो टॉपिक आपने छोड़ दिया है, उसके बारे में दोबारा बात ना करना ही बेहतर है।

हम सब इंसान हैं: जिंदगी जीने का सबसे सही फंडा है कि सभी को बराबर लेकर चला जाए। जब आप किसी से कोई भेदभाव नहीं करेंगे और सभी को एक दर्जे से देखेंगे, तमाम लोग आपसे प्यार रखेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा इससे आपको लोगों को स्वीकार करने में आसानी होगी और आप उनसे ज्यादा उम्मीद नहीं रखेंगे। जब आपकी अपेक्षाएं छोटी होंगी, तो दूसरों से प्यार खुद-ब-खुद बढ़ जाएगा।

सबसे बड़ा रुपैया: जिंदगी में आपके साथ कोई और हो न हो, लेकिन रुपये के चक्र का आपके फेवर में घूमना जरूरी है। अगर यह नहीं घूमा, तो आपकी किस्मत भी रुक जाएगी। इसलिए इस मंत्र को याद रखें और हमेशा पैसे की अहमियत को पहचान कर चलें। कभी इसे खराब न करें, क्योंकि इसके साथ छोड़ देने से तमाम खुशियां और साथी आपका साथ छोड़कर चले जाएंगे।

आगे की सोचो: जो बीत गया, वो बीत गया और जो आने वाला है, उसे आपको अच्छा बनाना है। 'बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेय' के मंत्र के साथ जिंदगी जीने से आप बीती बातों के भंवर में नहीं फंसेंगे और जब आपका फोकस बेहतरीन भविष्य बनाने पर होगा, तो बेकार की बातों पर आपका ध्यान ही नहीं जाएगा।

बीता वक्त दोबारा नहीं आता: कहते हैं ना कि जो वक्त को बर्बाद करता है, एक दिन वक्त उसे बर्बाद कर देता है। इसलिए वक्त की ताकत का हमेशा ध्यान रखना चाहिए और इसके सदुपयोग की कोशिश करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि आपने एक भी मिनट खराब नहीं करना है और हर पल अपने या दूसरों के लिए कुछ अच्छा ही करना है।

अगर मानना हो श्रीमती जी को

पति-पत्नी का रिश्ता बड़ा निराला होता है। यह एक मात्र ऐसा रिश्ता है जिसमें केवल दो व्यक्ति हीं एक दूसरे को समझते और ख्याल रखते हैं। एक मात्र इसलिए क्योंकि बाकी के रिश्ते में दो से ज़्यादा लोग हो सकते हैं। जैसे माँ बेटे के रिश्ते मे माँ तो एक होगी पर बेटे या बेटियाँ 1 से ज्यादा हो सकते हैं। ऐसे में पति और पत्नी के बीच अगर मन मुटाव हो जाए तो आप अकेले ही मूंह लटकाए गुम-सुम से रहने लगते हैं। आप सोचते हैं कि अपनी समस्या को किससे बताऊं, कहां जाऊं, क्या करूँ, कुछ भी समझ में नहीं आता। आप मूँह मत लटकाएं, बस कुछ ज़रूरी बातों पर ध्यान दे कर आप ना केवल अपनी परेशानी को छू-मंतर कर सकते हैं बल्कि आप अपनी धर्म-पत्नी का भरपूर प्यार भी पा सकते हैं।
सबसे पहले तो आप इस कारण का पता लगाइए कि आपकी मैडम आपसे नाराज़ क्यों हैं।
जब आपको ऐसा लगे की गलती आपकी है, तो बिना कुछ सोचे और झिझके उनसे वादा कीजिए की अब अगली बार ऐसी गलती कभी नही होगी और अगर आपकी गलती नही है, तो भी आप उनकी बात का बुरा नही मान सकते, क्योंकि नाराज़ आप नहीं, आज तो वो आपसे नाराज़ हैं। प्यार से उनके करीब जाइए और आँखें नीची कर के कहिए जानू, “मैं जनता हूँ की आप मुझसे नाराज़ हैं, पर मैने गलती जान बूझ के थोड़े ही की, वो तो मेरी किस्मत ही खराब है, जो मुझसे गलती हो जाती है”। यकीन मानिए आपकी मोहतर्मा तुरंत पसीज जाएँगी । अरे भाई! वो कोई पत्थर दिल थोड़े ही हैं।
पत्नी की नाराज़गी का स्तर जानिए।
चुप-चाप जिस तरह डॉक्टर थर्मामीटर से बुखार मापता है, उसी तरह आप भी अपनी प्यारी मुमताज़ के गुस्से का अंदाज़ा लगाएं की उनका गुस्सा किस आसमान पर है। जब आपको ये लगे की पत्नी ने न बोलने की कसम खा रखी है और आपको सुन भी नही रही, तो आप ऐसा मत समझिए की वो सही में आपको नही सुन रही। इसलिए कुछ ऐसा ना बोलें की आपकी शामत आ जाए और सारा गुस्सा, नाराज़गी वो हाथों से उतारने लगें । घर को तितर-बितर कर के वो आपको हिला भी सकती है। अतः आप सावधान रहें।
कुछ समय का विश्राम दें।
जब आपको ये लगने लगे कि आपकी पत्नी ने नहीं बोलने की कसम खा रखी है तब आप भला क्या कर सकते हैं, पर यह बोलते हुए की मेरी जगह खुद को रख कर देखो कि आपके इस व्यवहार से मुझे कैसा लगेगा। आप बार-बार यह साबित करने की कोशिश कीजिए कि आप ने अंजाने में उनको नाराज़ किया है।
कुछ ऐसा करें की आपकी बेगम को हंसी फूटने लगे।
आप बच्चों को कोई चुटकुला या कोई गीत, कोई छोटी कहानी सुनाएं और साथ ही यह भी सुना कर कहें कि “मेरी कोई फीस नहीं है, खास कर वो जो मुझसे नाराज़ हैं”। आप ये कहें कि घर को आपकी पत्नी की कितनी बड़ी ज़रूरत है, उनके ऐसे व्यवहार से कितना बुरा माहौल बन गया है।
आप क्या बिल्कुल ना करें।
पत्नी अगर नाराज़ हैं, तो किसी अन्य से उनकी शिकायत न करें।
कभी भी गुस्से से बात न करें।
अपनी आवाज़ मे कड़वाहट न लाएं।
पत्नी को अकेला कभी ना छोड़ें।
अकेले खाना ना खाएँ, ना उनको खाने दें। साथ मे ही खाने की कोशिश करें।
आप ये भ्रम ना पलें कि आपकी पत्नी खुद ही मान जाएँगी।
आप ग़लती से भी उनको ग़लत साबित करने के लिए तर्क ना दें।
आप शेर बिल्कुल न बने। भीगी बिल्ली बनने मे ही आपकी भलाई है।
बस आप भगवान से दुआ करते रहें की आपकी लक्ष्मी जल्दी से नाराज़गी खत्म कर के आप पर खुशियों की बारीश करना शुरु कर दें।

लड़कियों का दिल कैसे जीते

लड़कों की आपसी बातचीत में लड़कियां तीन तरह की बताई जाती रही हैं, एक वे जिन पर आप जान छिड़कते हैं पर नजदीक नहीं फटक पाते, दूसरी जिनसे आप शादी करना चाहते हैं पर वे आपको देख कर नाक-भौं सिकोड़ लेती हैं और तीसरी वे जिनसे आपकी शादी हो जाती है। जिस पर आप जान छिड़कते हैं, उस लड़की को पटाना कोई आसान काम नहीं होता। यह तो वे भी जानते हैं, जिन्होंने लड़की पटाने में महारथ हासिल कर ली है। लड़कियां केवल सपनों में ही न रहें और आपको आपकी पसंद की लड़की हमसफर के रूप में मिल जाए, इसके लिए हम सुझाते हैं विशेषज्ञों की राय पर कुछ नुस्खे-

मुस्कुराएं
दोस्ताना माहौल के लिए मुस्कुराना तो पड़ेगा ही। खूबसूरत मुस्कान वातावरण को खुशनुमा बनाती है, यह तो देखा ही होगा आपने। हल्के-फुल्के माहौल में मुस्कुराहट बिखेर कर आप संदेश दे सकते हैं कि रास्ता क्लियर है। आपकी मुस्कुराहट को उधर कैसे लिया जा रहा है, यही आगे का रास्ता दिखाने के लिए काफी होगा। ज्यों ही मुस्कुराहट के बदले मुस्कान मिली, समझ लीजिए बाजी आपके हाथ में है।

माहौल को परखें
बिना सोचे समझे उठाया गया कदम आपके प्रेम को तबाह कर सकता है। इसलिए आस-पास देख कर ही बात आगे बढ़ाएं। यह नहीं कि वह मुस्कुरा दी तो आप उसके बस पीछे ही हो लिए। उसकी भंगिमाओं को पढ़िए। आसपास का जाएजा लीजिए और पिर कदम आगे बढ़ाइए।

सकुचाएं बिल्कुल नहीं
नो-नो, संकोची लोग तो प्रेम के पास फटक ही नहीं सकते। सटीक शब्दावली का प्रयोग करें और मौका मिलते ही दिल की बात बिना हिचकिचाए रख दें। ख्याली पुलाव पकाने वालों को कभी प्यार नहीं मिलता। थोड़ा आप खुलेंगे तभी तो सामने वाले को भी चांस लेने में झिझक नहीं होगी।

बॉडी लैंग्वेज को समझें
वह आपकी बात को किस अंदाज में ले रही है, यह तो उसकी बॉडी लैंग्वज और चेहरे के उतार-चढ़ाव से समझा जा सकता है। जो उसको अच्छा नहीं लगा उसके लिए झट से माफी मांग लीजिए। बस, यह समझते चलिए कि कब और कैसी बात को उसने पॉजिटिव रूप से लिया, उसी के अनुरूप आगे के व्यवहार को शेप देते रहिए। देखिए, बात बन ही जाएगी।

जल्दबाजी नहीं
प्रेम में जल्दबाजी कतई अच्छी नहीं होती। आपका उतावलापन उसको बुरा भी लग सकता है। धीरे-धीरे गहराई में जाने का प्रयास करें। सब कुछ करने के बाद भी यहां की फिसलन को नकारा नहीं जा सकता। उसकी तरफ से आपको खुश करने वाले संकेत मिल भी रहे हों तो भी आगे कदम उठाने में आप हड़बड़ाए नहीं। उतावलेपन से बनी-बनाई बात बिगड़ते देर नहीं लगेगी।

अच्छे श्रोता बनें
ज्यादा बोलने से बेहतर होता है, ज्यादा और ध्यान से सुनना। जिन बातों में आपकी रूचि न भी हो उनको पूरे मन से सुनने का ढोंग करें। जैसा कि सब जानते ही हैं, स्त्रियों को प्यार करते हुए भी घर/परिवार व दूसरी तमाम बातें याद आती रहती हैं। वह अपने भाई पर भी बोल कर डेटिग का पूरा वक्त बिता सकती है। और तो और कभी-कभी मार्केट या किसी खाने के चीज पर उनका ध्यान टिका रह सकता है, पर आपको अपनी ऊब को छिपाते हुए सब सुनने की कोशिश करनी होगी।

ड्रेसिग सेंस की तारीफ करें
उसके कपड़ों और जो रंग उसने पहने हैं उनकी तारीफ करें। यह तो तथ्य है कि हर किसी को अपनी तारीफ सुनना बहुत पसंद आता है। इसका दूसरा पक्ष यह भी कहा जा सकता है कि किसी की तारीफ करने में पैसा तो खर्च नहीं होता, फिर कोताही क्यों की जाए। खासकर जब यह मामला दिल का हो। यह भी जानने की कोशिश करें कि उसको कैसी ड्रेस पसंद है।

अंखियों से गोली मारें
आप जो भी बात करें, आंख में आंख डाल कर बात करने की कोशिश करें। जब आप आंख मिला कर बात करते हैं तो दोनों के बीच खास तरह का वाइब्रेशन होता है। धीरे-धीरे यह रूमानियत में बदलता जाएगा और आप महसूस करेंगे कि इसमें आपको काफी आनंद आ रहा है। इससे आपको उसकी आंखों को पढ़ने का मौका मिलेगा सो अलग।

बेचैन न हों
उत्साह में आ कर कुछ ऐसा न कर बैठें कि बना-बनाया मामला चौपट हो जाए। थोड़ा सब्र रखें। कुछ लड़कियां लड़कों को सिर्फ इसीलिए रिजेक्ट कर देती हैं क्योंकि उतावलेपन में वे कुछ ज्यादा ही ‘करीब’ आने की कोशिश कर डालते हैं। कहा जाता है न फूंक कर पीना ज्यादा ठीक है, वर्ना जीभ जल जाती है।

बोल हों चाशनी भरें
घबराइए नहीं, यहां चापलूसी से ही बात बनती है। जो भी बोलें वह सकारात्मक हो। आपकी बातों से वह प्रभावित हो तभी तो बात बनेगी। अच्छी और सकारात्मक बातों से उसको प्रभावित करें।

पॉजिटिव हों और मसखरी करें
पहले से मन में कोई नकारात्मक बात न लाएं। हल्के-फुल्के मजाक करें और उसका दिल छू लें। आपका सेंस ऑफ हूमर जितना गजब का होगा, लड़कियां आपके उतने ही करीब आएंगी। हल्का-फुल्का मजाक व मखौल वातावरण को ऊर्जावान बनाए रखता है। आपकी जो बात उसको नहीं पसंद आ रही है, उसको भी मजाक में उड़ाने से बात बन जाएगी।

पहल में न हिचकें
अगर वह आपकी पसंद है तो पहल आपको ही करनी होगी। रिश्ते भले ही ऊपर से बन के आते हों पर कदम तो आपको ही उठाना होगा। असफलता के भय से यदि अभी ही चुप्पी लगा कर बैठ गये तो फिर हाथ ही मलते रह जाएंगे।

हार कर जीतें
उसकी कोई बात आपको बुरी भी लग जाए तो दिल से न लगाएं। प्यार में कुछ कुर्बानी तो करनी ही पड़ती है। आपकी हार से वह खुश भी तो होगी और हो सकता है इसीसे आगे बात बन जाए। दिल से लगा कर बैठने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है इसलिए नजरंदाज कर दें ऐसी बातों को।

सच्चे और ईमानदार बनें
किसी भी रिश्ते की बुनियाद सच और ईमानदारी पर ही टिकी रहती है। इनका साथ कभी न छोड़ें। झूठ की बुनियाद पर रखी गई रिश्तों की नींव कभी भी दरक सकती है। जो जैसा ही वैसा ही बताएं। दुराव-छिपाव वैसे भी इस रिश्ते में ज्यादा देर नहीं चल सकता।

लव मैरिज से पहले कर लें तैयारी

प्यार (प्रेम) जितना पवित्र शब्द है उतने ही ज्यादा विवादों से हमेशा घिरा रहता है। बात अगर एक युवा जोड़े के प्रेम की हो तो वह शुरू से ही विवादों को झेलता आया है । प्यार करनेवालों के रास्ते में हमेशा से कोई न कोई दीवार बनती आयी है। बात चाहे लैला-मजनूं , सोनी-माहिवाल, रोमियो-जूलियट की हो या फिर आज के प्रेमी जोड़ों की । हर जगह कोई न कोई प्यार के बीच दीवार बनने का काम जरूर करता है लेकिन प्रेमी युगलों ने न तो कभी इनकी परवाह की और न ही आगे करने को तैयार है । पिछले कुछ महीनों से 'ऑनर किलिंग' खबरों में छाई रही है । कहीं पर एक गोत्र की वजह से तो कहीं जाति के कारण से प्रेमी जोड़े मौत के घाट उतारे गए लेकिन ऐसी घटनाओं के बाद भी प्रेमी युगल डरे नहीं, उनका प्‍यार जारी है..

युवाओं के विचार

डीयू में पढ़नेवाली पूजा कहती है कि समझ में नहीं आता कि आज 21वीं सदी में लोग क्यों जाति और गोत्र जैसी दकियानूसी बातों को महत्व दे रहे हैं और इसके नाम पर बेवजह हत्याएं कर रहे हैं। पुराने ख्‍यालात वाले माता-पिता ऐसी घिनौनी हरकतों से न तो प्यार करनेवालों के इरादे कमजोड़ होनेवाले हैं और न ही वो प्यार करना छोड़ देंगे । प्यार जाति, धर्म और गोत्र देखकर नहीं होता, ये तो बस हो जाता है । कब और कैसे होता है पता ही नहीं चलता । अब सोचने वाली बात है कि कोई किसी की जाति और गोत्र देखकर तो उससे प्यार करेगा नहीं । प्यार और शादी इंसान से की जाती है, जाति और गोत्र से नहीं। प्रेमी बिना जाति-बंधन देखे प्यार करते थे, करते हैं और करते रहेंगे ।
आई पी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मीतू और उसके ब्यॉयफ्रेण्ड उत्सव का कहना है कि आज माता-पिता को अपने बच्चों को जीवनसाथी चुनने की खुली छूट देनी चाहिए । आज के जमाने में यह बहुत नैचुरल है कि लड़के-लड़कियों को कोई पसन्द आ जाए और वैसे भी जिन्दगी तो उन्हें बितानी है । हमारा संविधान हमें अपना जीवनसाथी चुनने और जीने की पूरी स्वतन्त्रता देता है । ऐसे में हम अपने निर्णय लेने के लिए पूरी तरह स्वतन्त्र हैं । जहां तक बात हम दोनों की है तो हमें आए दिन होने वाले ऑनर किलिंग से कोई फर्क नहीं पड़ता, हम दोनों शादी करेंगे ।

प्यार में सब्र का फल होता है मीठा
एक प्रेमी जोड़े की कहानी
दो अलग-अलग मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले प्रीति और सिद्धार्थ का प्यार सात साल पुराना है और अब वे शादी करने वाले हैं । इन दोनों ने इन सात सालों में बहुत सारी चुनौतियों को झेला लेकिन आज वे दोनों परिवार की सहमति से विवाह के पवित्र बंधन में बंधेंगे । प्रीति और सिद्धार्थ ने बताया कि उन्हें 11वीं में ही एक-दूसरे से प्यार हो गया था और दोनों तभी से एक-दूसरे के हो गए थे । चूंकि दोनों अलग-अलग जातियों के हैं और उनके परिवार वाले जातिवाद के घोर समर्थक थे तो इस वजह से उन्हें डर था कि कोई समस्या उनके सामने खड़ी न हो जाए । दोनों ने बहुत सूझ-बुझ से काम लिया। प्यार होने के कुछ समय बाद ही दोनों ने अपने परिवारवालों से सबकुछ सही-सही बता दिया । शुरू में माता-पिता बहुत भड़के लेकिन उन दोनों ने परिवारवालों को विश्वास दिलाया कि वो कुछ भी गलत नहीं करेंगे और नौकरी होने के बाद ही शादी के बारे में सोचेंगे । दो साल पहले नौकरी होने के बावजूद उनके परिवार वाले समाज और प्रतिष्ठा की वजह से अन्तरजातीय प्रेम विवाह के लिए राजी नहीं थे लेकिन प्रीति और सिद्धार्थ दोनों परिवारवाले को मनाने में जुटे रहें और अब वो अपने मकसद में कामयाब हो गए हैं । दोनों का यही कहना है कि करियर सेटल होने के बाद हम चाहते तो शादी कर सकते थे लेकिन इससे परिवार से हमारी दूरी बढ़ जाती और हम ये नहीं चाहते थे ।
दूसरे जोड़े की कहानीप्रेम के मामले में सब्र करना वाकई में फायदेमन्द होता है । बहुत सारे प्रेम विवाह करने वाले जोड़े इसके उदाहरण हैं । डेढ़ साल पहले परिवार की सहमति से अन्तरजातीय प्रेम विवाह करने वाले दीपक और मंजू ने परिवार की सहमति के लिए आठ साल तक लंबा इन्तजार किया और परिवारवालों को मनाने में सफल होकर शादी की। उन दोनों का कहना है कि माता-पिता के बगैर सहमति के भावावेश में आकर शादी कर लेने पर परिवार से रिश्ता टूट जाता है और पूरे जीवन इसकी बहुत कमी खलती है । इस वजह से शादी के बाद रिश्तों में बहुत ज्यादा दिक्कतें आती हैं । उनका कहना है कि प्रेम विवाह करना सही है लेकिन पारिवारिक सहमति भी जरूरी है । अगर परिवार की सहमति से प्रेम विवाह होता है तो शादी को सामाजिक मान्यता मिलती है और दोनों परिवार के साथ-साथ पति-पत्नी के रिश्ते बहुत मधुर होते हैं । उनका कहना है कि आप हरसम्भव प्रयासों से परिवारवाले को मनाने की कोशिश करें और उनकी सहमति से ही प्रेम विवाह करें । भले ही इसके लिए कुछ समय इंतजार क्‍यों न करना पड़े ।

करियर को न लगाए दांव पर
पहले प्यार होने पर प्रेमी जोड़े गलत और बेवकूफी भरे कदम उठाते थे । करियर की परवाह किए बगैर प्यार होते ही शादी करने के लिए बैचेन हो जाते थे और घरवालों के मना करने पर घर से भाग कर शादी कर लेते थे । उस स्थिति में उनके लिए पूरी जिन्दगी बिताना बहुत मुश्किल हो जाता है । आज के अधिकांश युवा प्यार के साथ-साथ करियर को बहुत महत्व देते हैं । करियर सेटल होने के बाद ही शादी के बारें में सोचते हैं । आज सभी लड़कियां चाहती हैं कि वो आत्मनिर्भर हो और उसका प्रेमी (होनेवाला पति) भी अच्‍छी जगह सेटल हो । लड़कियां दोनों परिवारों के बीच मधुर रिश्ता भी चाहती हैं । इस वजह से ही लड़कों की भी सोच बदली है और फलस्वरूप आज प्रेमी जोड़े परिवार और प्यार के बीच सन्तुलन बनाना सीख गए हैं । आज की नायिकाओं का ये जज्बा और बदलाव वाकई में काबिले तारिफ है ।

लव मैरिज के फायदे

* अंतरजातीय विवाह होने पर जाति प्रथा खत्म हो जाएगी *जाति, धर्म को लेकर होने वाले झगड़े खत्म हो जाएंगे ,असलियत में एकता आ जाएगी *दहेज प्रथा जैसी गम्भीर समस्या समाप्त हो जाएगी *माता-पिता को दहेज के लिए तनाव नहीं लेना पड़ेगा, इससे वे लड़कियों की पढ़ाई और करियर पर ज्यादा जोड़ देंगे । इससे शिक्षा का स्तर बढ़ेगा ।*दहेज की वजह से पढ़े-लिखे अच्छे लड़कों को अच्छी लड़कियां नहीं मिल पाती हैं, वो सम्भव हो पाएगा *समझौते की बात नहीं रहेगी क्योंकि एक सोच वाले लोगों की शादी होगी *पहले से एक-दूसरे को अच्छे से जानते हैं, ऐसे में दूसरे घर में रहना आसान होगा *प्रेमविवाह होने पर महिलाओं का कम शोषण होगा । दहेज सम्बंधी हत्या, घरेलू हिंसा नहीं होंगी *एक सोच के लोगों की शादी होने पर कोई भी फैसला पति-पत्नी दोनों मिलकर करेंगे। ऐसा होने से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा
लव मैरिज के नुकसान
*तलाकों की संख्या में वृद्धि* पति-पत्‍नी में अहम का टकराव* छोटी-छोटी बातों पर आपस में तनाव* असुरक्षा की भावना * परिवार का सहयोग न मिलना* परिवार के बुजुर्गों के साए से बच्‍चों का महरूम होना * दो परिवारों के बीच तनाव* परंपराओं का टूटना *ऑनर किलिंग में वृद्धि * मन में आत्‍महत्‍या के भाव का पनपता
अरेंज्ड मैरिज के फायदे
अगर हम एक लाइन में कहें तो जो भी प्रेम विवाह के नुकसान हैं वो सारे अरेंज मैरिज के फायदे हैं । आधुनिकता के इस युग में भी अरेंज मैरिज का अनुपात अधिक है । इस तरह की शादियों के अपने फायदे हैं, जैसे-तलाक की संख्या कम होती हैं, बच्चे अधिक सुरक्षित होते हैं। दो लोगों को एक-दूसरे को समझने में कुछ साल बीत जाते हैं और तब तक प्यार जैसी चीज वहां भी दिखने लगती है । लोग एक-दूसरे की खामियां भूलकर एक-दूसरे के हित के बारे में सोचते हैं। इस तरह की शादियों में परिवार की मर्जी शामिल रहती है इसलिए उन्हें कोई भी समस्या हो, परिवार के लोग उनका साथ देते हैं । कामकाजी महिलाओं की संख्या इस तरह की शादियों में कम रहती है । इसी वजह से बच्चों की देखभाल ठीक ढंग से होती है । महिला के कामकाजी होने पर उनके बच्‍चों को बुजुर्गों का साया मिल जाता है ।

अरेंज्ड मैरिज के नुकसान
* हम पहले से एक-दूसरे को नहीं जानते हैं । ऐसे में कई बार गलत जीवनसाथी मिल जाता है जिसे जीवनभर झेलना मुश्किल हो जाता है * जीवन भर लड़कियों को समझौता करना पड़ता है* लड़का-लड़की दोनों को एडजस्ट करने में और एक-दूसरे को जानने-समझने में बहुत समय लग जाता है * दहेज प्रथा जैसी कुरितियों को बढ़ावा मिलता है * दहेज के कारण भ्रूण हत्‍या में हो रही वृद्धि *दहेज इकट्ठा करने के चक्कर में माता-पिता लड़कियों के करियर को महत्व नहीं देते *महिलाओं का बहुत ज्यादा शोषण होता है । *सास-बहु के बीच हमेशा खटास बनी रहती है, घर में प्यार भरा माहौल नहीं होता

अभिभावक को ऐसे लें विश्‍वास में
*हर सम्भव प्रयास से माता-पिता को मनाने की कोशिश करें *माता-पिता को विश्वास दिलाएं की जो फैसला आपने लिया है वो सही है *पेरेंट्स से कहें कि आपकी सहमति बहुत जरूरी है, आप जब तक नहीं कहेंगे तब तक शादी नहीं करेंगे लेकिन किसी और से भी नहीं करेंगे *पेरेंट्स अगर समाज और संस्कार की दुहाई दें तो आप शिक्षा और बदलते जमाने की रफ़्तार की दुहाई दें *पेरेंट्स को समझाए कि जब समाज मेरे रहने, खाने और जीने की व्यवस्था नहीं करता, मेरी मुश्किलों में मेरा साथ नहीं दिया तो फिर हम इस समाज की चिंता क्‍यों करें । मेरे लिए आप ही मेरा समाज हैं * पेरेंट्स को कहें कि जब तक परिवार नहीं बदलेगा, तब तक समाज कैसे बदलेगा, इसलिए शुरुआत अपने ही परिवार से करें *पेरेंट्स से पूछे कि अरेंज मैरिज करवाकर भले ही वो कुछ पल के लिए खुश हो जाएंगे लेकिन शादी के बाद बच्चे को हमेशा दुखी देखकर क्या वो खुश रह पाएंगे *अगर पेरेंट्स छोटे भाई-बहन की शादी की दुहाई दें कि उनकी शादी कैसे होगी तो आप अपने पेरेंट्स से कहे कि वो छोटे को भी स्वतन्त्र छोड़ दें * लड़का-लड़की दोनों को एक दूसरे के परिवार वालों से मिलवाते रहना चाहिए, मिलने से दूरियां घटती हैं और रिश्ते मधुर होते हैं * पेरेंट्स नहीं चाहें तब भी मौका बे मौका एक-दूसरे के पेरेंट्स से मिलवाते रहना चाहिए * कभी भी मन में आत्महत्या का खयाल नहीं लाएं, लड़ेंगे तभी तो जीतेंगे* भावावेश में आकर बिना पेरेंट्स के सहमति के शादी नहीं करें* बच्चे की जिद के आगे पेरेंट्स झुकते हैं । आप कभी भी हिम्मत नहीं हारे , सफलता आपको जरूर मिलेगी ।
लव मैरिज करने से पहले क्या तैयारी करें
* जिसे जीवन साथी बनाने का फैसला किया है उसके बारें में आश्वस्त हो जाएं कि वो आपके लिए सही तो है न* सबसे पहले आप आत्मनिर्भर हो जाएं, अपने करियर को सेट्ल कर ले* अगर आपका करियर सेट्ल है तो कोई भी आप पर उंगली नहीं उठा पाएगा * अगर आप आत्मनिर्भर हैं तो आप मजबूत होते हैं और माता-पिता को मजबूर करते हैं। ऐसे में आपकी राह ज्यादा आसान है * कभी भी इन्तजार करने से नहीं घबराए, प्यार की गहराई उसी में दिख जाती है । प्यार जितना लंबा चलता है शादी के बाद रिश्‍ते उतने ही अच्छे होते हैं * शुरू से ही मजाक-मजाक में दुनिया के बदलते ट्रेण्ड से पेरेंट्स को अवगत कराते रहें और गाहे-बगाहे ये भी कहते रहें कि मैं अपनी मर्जी से शादी करूंगा या करूंगी* जिद्दी स्वभाव का होना बहुत बार फायदेमन्द होता है * जैसे ही किसी से प्यार हो जाए आप अपने घर में माता-पिता या भाई-बहन किसी को भी बता दें जो आपकी बात ज्यादा अच्छे तरीके से समझता हो और आपके ज्‍यादा करीब हो*ज्यादा अच्छा होगा आप मम्मी को सबसे पहले बता दें साथ ही साथ उन्हें आश्वस्त करें कि इससे जिन्दगी, करियर और परिवार किसी पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा और आप कुछ भी ऐसा-वैसा गलत नहीं करेंगी जिससे उनकी मान-मर्यादा में कमी आए*अगर आप शादी का प्लान तीन-चार साल बाद बना रहे हैं तो अभी ही पेरेंट्स को बता दें, धीरे-धीरे माहौल आपके अनुकूल हो जाएगा । अचानक से बताने पर पेरेंट्स मानने को तैयार नहीं होते हैं * परिवार वालों को विश्वास दिलाएं कि उनकी अहमियत को आप कभी भी नहीं भूलेंगे * परिवार और प्यार के बीच सन्तुलन बनाना बहुत जरूरी है इसलिए पहले से ही दोनों के बीच सन्तुलन बनाना सीखें और सन्तुलन बना कर चलें

प्यार में बने स्मार्ट प्यार में आप स्मार्ट बनने की कोशिश करें । किसी कारणवश अगर आपको आपका प्यार नहीं मिल पाता है तो उस स्थिति में आप तनाव न लें । हालांकि ये दिल का मामला होता है और इस स्थिति में सामान्य रह पाना मुश्किल होता है लेकिन आपकी इच्छाशक्ति के सामने कुछ भी नामुमकिन नहीं है। गलती से भी रोने-धोने का कोशिश न करें और मन में किसी तरह के गलत हरकतों का खयाल भी नहीं लाए । अपने प्रेमी को याद नहीं करें और उससे जुड़ी किसी भी चीज को मत देखें । अपने आप को किसी न किसी काम में व्यस्त रखने का कोशिश करें । कोशिश करें कि अकेले न रहें हमेशा किसी न किसी के साथ रहें । साथ ही साथ आप कभी भी ऐसा मत सोचे कि अब जिन्दगी खत्म हो गई है क्योंकि जिन्दगी में कोई भी इतना अहम नहीं होता जिसके बिना जिन्दगी न चल सके । जिन्दगी में आपके सामने ढेरों रास्ते आते जाएंगे ।

कैसे करे डेटिंग


डेटिंग आज की युवा पीढ़ी की जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। किशोर से लेकर प्रौढ़ उम्र के व्यक्ति तक डेटिंग पर जाते हैं और जाना चाहते हैं। लेकिन कई बार खासतौर पर युवाओं के सामने ये समस्या पैदा हो जाती है कि डेटिंग पर वे कहां जाए? कैसे जाएं? एक-दूसरे के साथ कितना ओपन हो? एक-दूसरे को कितनी आजादी दें? और किस तरह की बातचीत करें?बॉडी लैग्वेज कैसी हो? सकारात्मक रूप से ये सारी चीजें भी मानसिक रूप से आपको प्रभावित करती हैं और कर सकती है। आइए जानें डेटिंग के तरीकों के बारे में जिससे आपको मानसिक रूप से कोई आघात न पहुंचे।



* आज के दौर में हर कोई डेटिंग पर जाने के लिए उत्सुक रहता है। दरअसल, डेटिंग के जरिए लड़के-लड़कियां आपस में एक-दूसरे को समझते हैं। डेटिंग हमेशा ऐसी होनी चाहिए जिससे ये यादगार दिन बन जाए।
* कई बार लड़कियां अपने दोस्तों की मदद से लड़कों को पटाने के टिप्स पर अमल करने की सोचती हैं जो कि वास्तव में गलत है। डेटिंग दो लोगों को जानने का, समझने का तरीका है न की टिप्स अपनाने का।
* यदि कोई लड़का अपनी गर्लफ्रेंड के साथ डेटिंग पर पहली बार जा रहा है तो ऐसे मौके पर कोई ऐसी बात न करें जो कि लड़की को अच्छी न लगे। डेटिंग पर पहली मुलाकात में ही अपने बारे में सबकुछ नहीं बताना चाहिए। न ही जरूरत से ज्यादा बोलना चाहिए। इससे डेटिंग का मजा खराब हो सकता है।
* कई बार आपकी बॉडी लैंग्वेज ही आपकी मन की बातों को बयान कर देती है ऐसे में आपको सहज रहना बहुत जरूरी है। न तो बहुत उत्सा‍हित हो और न ही बहुत ज्यादा नर्वस।
* डेटिंग कई बार सही जीवनसाथी के चुनाव के लिए की जाती है। डेटिंग हमेशा ऐसी होनी चाहिए कि दोबारा मुलाकात करने में दोनों तरफ से किसी को कोई परेशानी न हो।
* यह भी जरूरी नहीं कि आप जब डेटिंग करने जा रहे हैं तो किसी दूसरे के साथ आपका डेटिंग अनुभव बहुत खराब रहा था तो इस बार भी ऐसा ही होगा। अपने मन में किसी तरह की कोई शंका या मिथ न पालें लेकिन सतर्क अवश्य रहें।
* पहली डेटिंग हमेशा पब्लिक प्लेस पर की जानी चाहिए। जहां दोनों ही सहज बातचीत करने में सक्षम हो।
* कई बार डेटिंग मौज-मस्ती या टाइम पास के लिए भी की जाती है। डेटिंग पर जाने से पहले अपने फंडे क्लीयर कर लें जिससे बाद में आपको किसी तरह का कोई कष्ट न हो।
* गर्लफ्रेंड से डेटिंग के दौरान बहुत ज्यादा गप्प न मारें नहीं तो इससे आपकी डेटिंग बिगड़ सकती है।
* बहुत ज्यादा देर रात तक डेटिंग पर न रहें, न ही किसी तरह के किसी नशीले पदार्थ का सेवन करें।
* यदि लड़कियां लड़कों को समझना चाहती हैं तो पहले उन्हें बोलने का अवसर दें और जो वह नहीं बोल रहा या किन्हीं कारणों से आपसे छुपा रहा है उसे भी जानने की कोशिश करें।
* लड़का और लड़की दोनों ही अपनी डेट के लिए कोई लुभावना उपहार लेकर जाएं।



इसी तरह की बातों को ध्यान में रखकर आप अपनी डेटिंग को खुशनुमा और यादगार दिनों में परिवर्तित कर सकते हैं।

Wednesday 23 November 2011

लड़कियाँ कैसे करती हैं फ्लर्ट

फ्र्लटिंग के मामले में पुरूषो को ही बदनाम किया जाता। पुरूषोंके बारे में माना जाता है कि वे लडकियों को देखते ही फ्लर्ट करने लगते है। उन्हें रिझाने के लिए तरह-तरह की बातें और इशारे भी करने लगत है, है लेकिन फ्लर्ट करने में महिलाएं पुरूषों से कहीं आगे हैं। महिलाएं पुरूषों के मुकाबले में पांच गुना ज्यादा ऎसे सेक्सी बॉडी सिग्नल्स देती है। जिससे पुरूषों को ये इशारा मिल जाए कि वो उन्हें पसंद करती है। शोध में भी वैज्ञानिकों ने यह बात मानी है कि फ्लर्ट करने में महिलाएं भी पुरूषों के मुकाबले कहीं पीछे नहीं है। तो आए उन संकेतों को पहचाने, जो महिलाएं फ्लर्ट करने के लिए इस्तेमाल करती है, ताकि पुरूष भी समझें उनकी फ्लाटिंग लैंग्वेज को।
महिलाओं के सेक्सी बॉडी सिग्नल्स:
1. अगर किसी पुरूष से बातचीत के दौरान महिला उसके करीब आती है, तो इसका मतलब है कि वो उसे पसंद करती है।
2. अगर वो बाद-बार अपने बालों को ठीक करे या अपनी लटों में उंगलियां धुमाने लगे तो सीधा संकेत है कि आप उसे आकर्षक लग रहे है।
3. हो सकता है वो अपने हाथों को रब करे या अपने शरीर को टच करें, जैसे गर्दन पर बांहों पर हाथ फेरे इत्यादि, ये संकेत है कि आप उस शाम उसे कॉफी के लिए आमंत्रि करेंगे, तो आपको निराश नहीं होना पडेगा।
4. अगर कोई महिला फ्लर्ट करती हो, तो आपकी आंखें भी बहुत कुछ कहती है, वो आपसे ज्यादा देर तक आई कांन्टेक्ट रखेंगी और फिर नजरों को खास अंदाज में झुका लेगी।
5. आपसे हर बार सामने होने पर मुस्कुराकर आपका स्वागत करेगी।
6.अगर वो आपको पसंद करती है, तो आप जेसे ही उसे देखेंगे, वो अपने कपडे ठीक करने लगेगी। अपने टॉप को या कुर्ते के बटन को ठीक करने लगेगी।
7. फ्लर्टिग में माहिर महिलाएं यह अच्छी तरह से जानती है कि पुरूषों को किस तरह से आकर्षित करके दिल की बात उन तक पहुंचानी है।
8. अगर बैठने के दौरान वो आपके कंधे या पैरे से अपना हाथ रख दे या आपपास होने से गलती से बॉडी टच करने का आभास दे, तो ये आपके लिए ग्रीन सिंग्लन है।
9. अगर वो फ्लर्टिग की कला में माहिर है, तो वो बहुत ही स्मार्टली सिर्फ उतनी ही स्किन रिवील करेगी, जिससे आपका ध्यान उसकी तरफ आकर्षित हो या उसके बाद आप ख्यालों की दुनिया में खो जाएं।
10. फ्लर्ट करने वाली महिलाएं अपनी आवाज का भी बखूबी इस्तेमाल करती है, वो आपके कानों के पास आकर सेक्सी अंदाज में धीरे से बात करेगी, ताकि आप ये समझे जाएं कि आप उसे आकष्ाüक लग रहे है।
फ्लर्ट करने वाली महिलाओं की सोच:
फ्लर्टिग के बारे में महिलाओं का कुछ और ही सोचना है। फ्लर्टिग की कला न सिर्फ आपको ऎसे खुशनुमा पलों को जीने का मौका देती है, बल्कि रिफ्रेश भी कर देती है और इस कला में अब महिलाएं भी किसी से पीछे नहीं, बस, उनका तरीका पुरूषों से थोडा अलग होता है।
1. महिलाओं का मानना है कि फ्लर्टिग आपको फ्रेश और रोमांटिक बनाए रखती है।
2. इससे आपको कॉन्फ्रिडेंस मिलता है।
3. महिलाएं मानती हैं कि अगर कोई आपको आकर्षक लग रहा है तो फ्लर्ट करने में क्या बुराई है।
4. फ्लर्टिग में दोनों पक्षों के लिए फील गुड फैक्टर जुडा होता है।
5. महिलाएं यह भी मानती हैं किहो सकता है कि फ्लर्टिग से शुरूआत हुई बात रोमांटिक रिश्ते में बदल जाएं।
6. फ्लर्टिग हमेशा हेल्दी होना चाहिए।
7. कभी-कभार लोग इससे आपके चरित्र को जज करने लगते है, ऎसे में फ्लर्टिग थोडा संभलकर और उसके साथ ही करनी चाहिए, जो आप ही की तरह ओपन मांइडेड हो।
8. फ्लर्टिग गलत मकसद से नहीं की जानी चाहिए। फ्लर्टिग का इरादा सिर्फ दोस्ती करना और सामने वाले को खुश व अच्छा महसूस कराना होता है।
9. अगर कोई पसंद है या किसी का व्यक्तित्व आकष्ाüक लग रहा है, तो उसकी तरफ मुस्कुराकर देखने में क्या बुराई है।
10. किसी की स्टाइल पसंद हो, तो उसे कॉçम्प्लीमेंट जरूर दें।
फ्लर्ट करने के नुकसान:
हालांकि महिलाओं का एक वर्ग ऎसा भी है जो फ्लर्टिग के ज्यादा पक्ष में नहीं है, उनका मानना है कि फ्लर्टिग के नुकसान भी आपको भुगतने पड सकते हैं।
1. भले ही आपके इरादे कितने भी नेक हो, लेकिन फ्लर्ट करने वाली महिलाओं को हमारे समाज में अच्छा नहीं समझा जाता।
2. इससे महिलाओंके चरित्र पर भी सवाल उठ सकते है। साथ ही आपका गलत फायदा भी उठाया जा सकता है।
3. हो सकता है कि कोई भी आपको फिर गंभीरता से न लेकर सिर्फ मजे के लिए आपसे बात करे या मित्रता रखें।
4. कभी-कभार मजे के लिए की गई फ्लर्टिग खतरनाक भी हो सकती है। सामने वाले के इरादे कितने नेक है, यह कैसे जाना जा सकता है।
5. फ्लर्टिग करते-करते भावनात्मक लगाव होना संभव है, ऎसे में बहुत सी बातों पर गौर करते हुए ही फ्लर्टिग की जानी चाहिए, वरना रिश्तों में उलझनें पैदा हो सकती है।
6. महिलाओं के फ्लर्टिग के अंदाज को पुरूष कुछ और ही समझ बैठते है और उनके इशारों को गलत दिशा में ले जाते है।
ऎसे में बेहतर होगा कि पहले फ्लर्टिग की कला को जाने, समझे और तभी आगे बढे क्योकि फ्लर्टिग में कोई बुराई नहीं है लेकिन फ्लर्टिग अपने आप में एक कला है और किसी भी कला का असर तभी नजर आता है, जब आप उसमें माहिर हो जाए।

Friday 18 November 2011

ऐसे होंगी लड़कियाँ इंप्रेस

लड़कियों का दिल जीतना कोई आसान काम नहीं। लेकिन यदि ये काम समझदारी से न किया जाए तो लेने के देने पड़ सकते हैं। लड़कियों का दिल जीतने के लिए सबसे पहले माहौल को परखना जरूरी है। इतना ही नहीं लड़की को एकदम से प्यार का इजहार करने के बजाय लड़की से मित्रवत संबंध बनाने चाहिए। बातचीत में लड़कियों को मजा आता है, इसीलिए पहले उनसे बातचीत करना चाहिए। लड़कियों का दिल जीतने से पहले आपको बॉडी लैंग्वेज को जानना जरूरी है कि लड़की आपमें इंटरस्टेड है भी या नहीं। आइए जानें लड़कियों का दिल कैसे जीते।



* लड़कियों का दिल जीतने के लिए जरूरी है कि आप कुछ ऐसे काम करें जिससे लड़की आपसे इंप्रेस हुए बिना न रह सकें।
* लड़की को इंप्रेस करने के लिए या उसका दिल जीतने के लिए आपको उससे मुस्कुराकर बातचीत शुरू करनी चाहिए। इससे लड़की आपसे इंप्रेस होगी।
* जब भी बात करें हमेशा पॉजीटिव वे में बात करें, ताकि लड़कियां आपकी तरफ खिंची चली आएं।
* लड़कियों का दिल जीतने के लिए जरूरी है कि हमेशा गंभीर बाते ही न करें बल्कि कुछ हंसी-मजाक की बातें भी करें जिससे लड़कियों को आपकी कंपनी पसंद आए।
* लड़कियों से कोई भी बात करने से पहले माहौल को परखें और खासकर लड़की के मूड को यदि वह उदास है तो उसकी उदासी जान उसे हंसाने की कोशिश करें।
* लड़कियों को संकोची लड़के बिल्कुल पसंद नहीं आते। ऐसे में यदि आप लड़कियों से बात करते हुए हिचकिचाएंगे और डरेंगे तो लड़कियां भी आपसे बात करने से कतराएंगी।
* लड़कों को लड़कियों का दिल जीतने के लिए जरूरी है कि वह उनकी बॉडी लैंग्वेज को परखें। कि लड़कियां उन्हें किस रूप में ले रही हैं। लड़कियों के आपसे बात करते हुए हाव-भाव कैसे हैं। क्या वो आपसे खुश है। इत्यादि बातों का खास ध्यान रखें।
* किसी भी मामले में जल्दबाजी अच्छी नहीं और जब मामला हो दिल का ऐसे में तो फूंक-फूंक कर कदम उठाने चाहिए। जब भी आप किसी लड़की से बात करें तो बहुत उतावलापन न दिखाएं।
* लड़कियों को आमतौर पर बहुत बात करने की आदत होती है। ऐसे में वे चाहती हैं कि उनकी बात सुनने वाला कोई हो। जब भी आप किसी लड़की से बात करें तो उसे इंप्रेस करने के लिए जरूरी है कि आप कम बोलें और लड़की को ज्यादा बोलने का मौका दें।
* ये जरूरी नहीं कि आपको लड़की की कोई बात पसंद नहीं आ रही तो आप उसको तपाक से बोल दें बल्कि आपको धैर्य से काम लेना चाहिए और लड़की की तारीफ करना न भूलें। फिर चाहे वह उसके ड्रेसिंग सेंस की हो या फिर उसकी मुस्कुराहट या व्यवहार इत्यादि।
* आप कोशिश करें कि आप कम बोलें और आपकी आंखे ज्यादा। यानी आप अपने दिल की बात लड़की को अपनी आंखों से बयां करोगे तो लड़की को अच्छा लगेगा।
* आपमें बातचीत की कला होनी चाहिए। आप ऐसे बात करें जैसे आपसे अच्छा और मीठा कोई बोल ही नहीं सकता। फिर देखिए कैसे लड़कियां आपसे इंप्रेस होती है।
* आप अपनी सकारात्मक सोच के साथ ही सेंस ऑफ ह्यूमर भी अच्छा होना चाहिए जो कि लड़कियों को बहुत भाता है। गंभीर माहौल को लाइट बनाने की आपकी कला ही लड़की के दिल में आपकी जगह बना सकती है।
* यदि आपको कभी लड़की को डेटिंग पर पूछने या फिर घुमाने इत्यादि की पहल करनी पड़ती है तो आप हिचके नहीं बल्कि अपनी बात को खुशमिजाजी के साथ बता दें।
* इन टिप्स के साथ आप किसी भी लड़की को आराम से इंप्रेस कर सकते हैं और आप जिस लड़की का दिल जीतना चाहते हैं वो भी आपके इस व्यवहार से आपके पास खिंची चली आएगी

Thursday 17 November 2011

कच्ची उम्र में प्यार


प्यार करना या किसी रिश्ते में बँधना बुरी बात नहीं है। बशर्ते आप उसे सही उम्र में सही ढंग से करें और सही मंजिल पर ले जाएँ। 13-14 साल की उम्र प्यार की महत्ता और गहराई को समझने के लिए बहुत कच्ची है। जाहिर है कि इस उम्र में यह रिश्ता भी बचकाना-सा ही होता है। स्कूली लड़कियों के लिए ब्वॉयफ्रेंड अच्छी चॉकलेट और महँगे गिफ्ट पाने का जरिया है तो वहीं लड़कों के लिए गर्लफ्रेंड का होना शान की बात है। उधर युवाओं में मूवी देखने और उच्चस्तरीय जीवन जीने की चाह में गर्लफ्रेंड-ब्वॉयफ्रेंड वाले रिश्ते रखना अब आम बात है। जाहिर है कि आज प्यार करना अधिकतर खेल के तौर लिया जा रहा है और चुभने वाली बात यह है कि स्कूल और कॉलेज जाने वाले किशोर और युवा "यूज एंड थ्रो" (इस्तेमाल करो और फेंको) की पॉलिसी अपना रहे हैं। प्यार करना उन्हें बड़ा आसान लगता है, पर इसे निभाना या किसी रिश्ते में बदलना बंधन लगता है। यह सिर्फ बच्चों या युवाओं तक सीमित नहीं रहा लगभग 80 प्रतिशत लोग इसी चलन को अपना रहे हैं, उन्हें अपना साथी बदलने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं होती। आज एक घर में रहते हुए भी बच्चे अपने पैरेंट्स से दूर हो गए हैं।

व्यस्त माता-पिता भी बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते कि वे घंटों फोन पर किससे बात कर रहे हैं या इंटरनेट पर किससे चैटिंग कर रहे हैं? उधर माता-पिता के बीच बढ़ता तनाव तथा विवाहेत्तर संबंध आदि के चलते बच्चे भी या तो कुंठा में जीने लगते हैं या फिर वे भी उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं।

आश्चर्यजनक बात है कि अब तो "फेसबुक" पर "रिलेशनशिप स्टेटस" अपडेट करने तक के लिए किशोरों को किसी की जरूरत नहीं है। आज किशोरों के आसपास की दुनिया तेजी से बदली है। उनके पास असीमित संसाधन हैं और जानकारी के ढेर स्रोत। जाहिर है कि इस चीज ने उन्हें मानसिक रूप से वक्त से पहले की परिपक्वता भी दी है। इसलिए रिश्ते बनाने के मामले में भी वे जल्दबाजी करते हैं, लेकिन जरूरत सिर्फ इस बात की है कि उन्हें उस रिश्ते की कद्र हो तथा वे प्रेम की गहराई को भी समझें।

हालाँकि इस बहाव में ऐसे भी कुछ लोग हैं, जो मजबूती से अपने आपको संभाले हुए हैं। अगर वे कोई नया रिश्ता बना रहे हैं तो उसे ताउम्र निभाने की ताकत भी उनमें हैं। साथ ही अपने रिलेशन्स को लेकर व्यावहारिक सोच-समझ भी वे रखते हैं। कई ऐसे किशोर तथा युवा भी हैं, जो अपने रिश्ते को लेकर बेहद गंभीर हैं और इस मामले में वे अपने माता-पिता से भी पारदर्शिता रखते हैं। अपने "प्रेम" के प्रति गंभीरता और दायित्व उन्हें जीवन में कुछ करने के लिए प्रेरित करता है।

ऐसे किशोर तथा युवा अपने साथी की प्रेरणा से अपना करियर, अपना जीवन बेहतर तरीके से संवार सकते हैं। अपने साथी के प्रति ईमानदारी व समर्पण का भाव उन्हें आत्मिक संतोष देता है। उनकी आपसी समझ समय के साथ-साथ इतनी गहरी होती जाती है कि एक-दूसरे की कमियाँ व खामियाँ वे नजरअंदाज करना सीख जाते हैं, जिससे उनका रिश्ता बना रहता है। एक-दूसरे की भावनाओं, विचारों और आदतों का वे सम्मान करते हैं। यह "बॉडिंग" उन्हें अंदर से बेहद खुश और मजबूत बनाती है और वे जिंदगी में आने वाली मुश्किलों को आसानी से सुलझा लेते हैं।

आवश्यकता इस बात की है कि प्रबल और सच्चा प्रेम जीवन को स्थिरता प्रदान करता है, यह बात सभी समझ पाएँ।

Monday 14 November 2011

समझें बॉडी लैंग्वेज

व्यक्ति की पर्सनालिटी में उसकी बॉडी लैंग्वेज महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बातचीत के दौरान व्यक्ति अपने हाथों, गर्दन, आंखों, उठने-बैठने के अंदाज में कई ऐसे भाव देता है जो उसकी सोच को दर्शाते हैं। यही बॉडी लैंग्वेज कहलाता है।
अगर आप बॉडी लैंग्वेज को समझते हैं तो बातचीत के दौरान आप सामने वाले की विभिन्न मुद्राओं को देखकर उसके मनोभावों को कहे बिना भी समझ सकते हैं। वहीं बॉडी लैंग्वेज की समझ रखने वाले इसका भरपूर फायदा उठाते हैं।

क्या कहती है बॉडी लैंग्वेज:

यदि बातचीत के दौरान कोई नाखून कुतर रहा हो या बार-बार अपनी नाक को छूता हो तो यह उसकी नर्वसनेस को दर्शाता है। वहीं कपड़े पकड़कर खींचना या मोड़ना भी नर्वसनेस और बेचैनी का परिचायक होता है।

जब कोई सामने वाले व्यक्ति से बातचीत करते हुए आराम से बैठा हो और उसके दोनों हाथ सिर के पीछे आपस में जुड़े हों तो यह इस बात का इशारा है कि वह व्यक्ति आत्मविश्वास से लबरेज है।

जब कोई व्यक्ति दोनों पैर मोड़कर बैठने (उकडू बैठने) की मुद्रा में हो तो और ऐसा लग रहा हो कि वह उठने के लिए तैयार है तो या फिर कुर्सी में बैठे हुए उसके दोनों हाथ घुटनों पर हों और ठुड्डी आगे की ओर झुकी हो तो यह दर्शाता है कि वह अपने कार्य के लिए तत्पर है।
अगर कोई व्यक्ति अपने दोनों हिप्स पर हाथ रखकर खड़ा हो जैसे कोई पुरुष अपनी पैंट के पीछे की दोनों जेबों में हाथ डाले खड़ा हो तो यह आक्रामकता का परिचायक होता है। यानी वह व्यक्ति आक्रामक हो सकता है।
बातचीत के दौरान कई बार व्यक्ति सामने वाले की बात बड़े ध्यान से सुनता है और अपनी गर्दन को एक ओर थोड़ा सो झुका देता है। यह इस बात का इशारा होता है कि वह बातों में रुचि ले रहा है। लेकिन अगर कोई बात सुनते हुए सिर थोड़ा नीचे झुका दे तो इसका अर्थ है कि वह आपसे बोर हो रहा है।
वहीं कई दफा यह स्थिति निर्णय लेने की स्थिति को भी दिखाती है।
अगर बातों के दौरान सामने वाला बार-बार अपनी बैठने की अवस्था या पहलू को बदल रहा हो तो ऐसे में मानना चाहिए कि वह आपकी बातों से परेशानी महसूस कर रहा है।
लेकिन जब कोई स्टूडेंट इस अवस्था में स्कूल के बरामदे में खड़ा हो या अपने क्लास में टहल रहा हो ऐसे में यह दर्शाता है कि वह व्यक्ति कुछ पढ़ने के लिए बेचैन है।

बॉडी लैंग्वेज से पकड़ें दिल की नब्ज


मैंने अपने पिछले ब्लॉग में लड़कों को आकर्षित करने  के कुछ बेहद सरल उपाए बताए थे जो लड़कियों ने बहुत पसंद किए. अब जब इस ब्लॉग को कुछ पाठक मिल ही गए हैं तो मैंने सोचा कि चलो एक और ब्लॉग इस संदर्भ में लिखा जाए हालांकि यह थोड़ा आसान है और बहुत कारगर. यह टिप्स मैंने दैनिक जागरण पर ही देखी थी, पर शायद आप लोगों ने मिस कर दिया हो इसलिए इसे आप लोगों तक लेकर आया हूं.


dv2051018लड़को की बॉडी लैंग्वेज को समझना आप लड़कियों के लिए कोई मुश्किल काम नहीं और यह बेहद कारगर भी होता है. बॉडी लैंग्वेज किसी भी इंसान के व्यक्तित्व का आईना होती है. कोई भी व्यक्ति शब्दों में भले ही झूठ बोले, लेकिन अपनी भाव-भंगिमा में नजर आने वाली सच्चाई को वह नहीं छिपा सकता. इसलिए अगर आप डेट पर जा रही हैं तो अपने भावी साथी की बॉडी लैंग्वेज को ध्यान से पढ़ने की कोशिश करें:


1. अगर वह अपनी दोनों भुजाओं को छाती के नीचे बांधकर बैठा या खडा हो तो उसकी ऐसी बॉडी लैंग्वेज यह दर्शाती है कि वह आत्मकेंद्रित और अंतर्मुखी व्यक्तित्व वाला इंसान है. हो सकता है कि वह अपनी कुछ बातें आपसे छिपाना चाहता हो.


2. अगर वह लड़का आपके चेहरे की ओर देखकर सहज भाव से बातें कर रहा हो तो इसका अर्थ यह है कि वह आत्मविश्वास से पूर्ण है, लेकिन अगर वह आपसे नजरें मिलाकर बातें न करे तो इसका मतलब यह है कि उसमें आत्मविश्वास की कमी है और वह शर्मीले स्वभाव का है.


3. आपकी बातें सुनते समय अगर वह सामने की ओर हलका सा झुक जाता है तो आप यह समझें कि वह आपकी बातों में दिलचस्पी ले रहा है.


4. बोलते समय अगर वह बार-बार अपने बालों पर हाथ फेर रहा हो या उंगलियां चटका रहा हो तो इसका मतलब यह है कि वह झूठ बोल रहा है या तनावग्रस्त है.


5. आप से बातें करते समय अगर वह अपने पैर हिला रहा हो या मेज पर रखी किसी चीज को तोड़-मरोड़ रहा हो तो इस लक्षण से यह साबित होता है कि उसे आपकी बातें पसंद नहीं आ रहीं हैं या उसका ध्यान कहीं और है.


6. हाथ मिलाते समय अगर वह आपका हाथ मजबूती से पकड़े तो जाहिर होता है कि वह रिश्तों के प्रति समर्पित इंसान है. अगर वह आपका हाथ बहुत ढीले-ढाले अंदाज में पकड़े तो वह दुविधा में रहने वाला व्यक्ति है और ऐसे लोग भविष्य में वफादार साथी साबित नहीं होते.


7. अंत में, सबसे जरूरी बात यह है कि डेटिंग के दौरन कोई भी इंसान अपने व्यक्तित्व के सबसे अच्छे पहलू को दर्शाना चाहता है. ऐसे में उसका व्यवहार बेहद संयत होता है. अत: एक ही मुलाकात में लड़के के व्यक्तित्व का सही आकलन नहीं किया जा सकता. इसलिए कम से कम दो-चार बार मिलने के बाद ही लड़के के बारे में कोई राय बनाएं.

हमारे जीवन पर बॉडी लैंग्वेज का प्रभाव


मौजूदा कॉर्पोरेट इंडिया को सिर्फ डिग्रियों से लैस एंप्लॉइज की तलाश नहीं होती, बल्कि यह जमाना स्मार्ट एंप्लॉई का है। स्मार्टनेस से मतलब ऐसे एंप्लॉई से है, जिसमें प्रफेशनल क्वॉलिफिकेशन तो हो ही, साथ ही वह सॉफ्ट स्किल्स से भी भरपूर हो। अगर आप भी ऑफिस में अपनी बॉडी लैंग्वेज पर खासा ध्यान देते हैं, तो आपकी यह कुशलता आपको बाकी लोगों से अलग बनाएगी।

अगर आप किसी व्यक्ति से फोन पर बात करें और उसी व्यक्ति से आमने-सामने बात करें, तो दोनों स्थितियों के नतीजों में जमीन-आसमान का अंतर हो सकता है। इसके पीछे है दोनों व्यक्तियों की बॉडी लैंग्वेज। दरअसल, बॉडी लैंग्वेज का प्रभाव हमारे जीवन के हर पल पर पड़ता है, भले ही हम इसे महसूस करें या नहीं? करियर में आगे बढ़ने के लिए भी जितनी जरूरी अच्छी परफॉर्मेंस है, उतना ही जरूरी है अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान देना।

इसके अलावा, अगर आपके अंदर अन्य लोगों की बॉडी लैंग्वेज पढ़ने का भी हुनर है, तो यह बात सोने पर सुहागा साबित होगी। अगर आप सेल्स के फील्ड में हैं, तो बॉडी लैंग्वेज समझने की कला आपके करियर को आगे बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। आपको अपने संभावित ग्राहक की बॉडी लैंग्वेज देखकर ही पता चल जाएगा कि वह व्यक्ति आपके प्रॉडक्ट में दिलचस्पी ले भी रहा है या नहीं?

हमारा दिमाग लगभग हर बॉडी पॉस्चर से निकलने वाले संकेत को समझ सकता है। सही बॉडी लैंग्वेज को सीखना फॉरन लैंग्वेज सीखने जैसा है। हमें रोजमर्रा की आदतों में कुछ बेसिक पॉस्चर्स पर ध्यान देना चाहिए, जैसे : हमेशा आई कॉन्टैक्ट रखकर बात करना, थोड़ी-सी मुस्कान का महत्व जानना, हाथ बांधकर बातें करने से बचना, खुली हथेलियां गंभीरता और रेसेप्टिविटी को दर्शाती हैं, हाथ हिलाकर बातचीत करने से समझा जाता है कि आप बड़ी रुचि से बातें कर रहे हैं, जबकि मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नेगेटिव बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है। आपके रिलेक्स्ड पॉस्चर का मतलब होगा कि आप कम्युनिकेशन के लिए तैयार हैं। ऑफिस में कभी भी किसी भी स्तर के व्यक्ति से ऊंची आवाज और तेज स्पीड में बात नहीं करनी चाहिए। इससे आप अपने व्यक्तित्व की गंभीरता खो देंगे।

चाहे आप ऑफिस में अपने कलीग्स से बातचीत करें या फिर अपनी डेस्क पर काम कर रहे हों, हमेशा अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें। कम शब्दों में हम कह सकते हैं कि बॉडी लैंग्वेज एक ऐसा हुनर है, जिसे हम अपने मूवमेंट्स, पॉश्चर्स और वॉयस टोन से हासिल करते हैं।

बॉडी लैंग्वेज पढ़ें

ऑफिस में किसी भी व्यक्ति से बात करते समय शब्दों के अलावा सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज पढ़ने की भी कोशिश करनी चाहिए। खुद को सामने वाले के साथ इस तरह रिलेट करना बेहद जरूरी है। इससे आपको यह पता चल सकेगा कि वह व्यक्ति आपकी बातों में दिलचस्पी ले भी रहा है या नहीं? अगर कोई शुरुआत में तो आई कॉन्टैक्ट रखकर बातें कर रहा है, लेकिन धीरे-धीरे आंखें बचाने लगता है, तो इसका मतलब है कि वह बातचीत में दिलचस्पी खो रहा है। ऐसे ढेरों संकेत आपको सचेत कर सकते हैं। इसके बाद आपको अपनी अप्रोच बदल देनी चाहिए। अगर आप बॉस के साथ बातें कर रहे हैं या कोई सवाल पूछ रहे हैं, तो अक्सर बॉडी लैंग्वेज पढ़ने से ही आपको अपने ज्यादातर जवाब मिल जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति की जुबान कुछ और कह रही है और बॉडी लैंग्वेज कुछ और, तो उसकी बॉडी पर भरोसा कीजिए।

अकेले में प्रैक्टिस करें

अगर आप अपनी बॉडी लैंग्वेज से संतुष्ट नहीं हैं, तो घर पर शीशे के सामने इसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। ध्यान रखें कि आपकी बॉडी लैंग्वेज भी वही बोले, जो आप मुंह से बोल रहे हैं। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि आप क्या कहते हैं, बल्कि यह है कि आप इसे किस तरह कहते हैं? हमेशा मुस्कराते रहें। जो लोग अपने बारे में अच्छा सोचते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज अक्सर बेहतर होती है।

कुछ खास बातें

वैसे तो बॉडी लैंग्वेज पर बरसों से रिसर्च की जा रही है। अलग-अलग लोगों ने पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज के बारे में कई बातें बताई हैं, जिन्हें एक आर्टिकल में समेट पाना मुश्किल है। फिर भी मोटे तौर पर कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए, जिससे ऑफिस में आपकी इमेज एक अच्छे वर्कर की बन सके। चाहे बॉस हो या कलीग हमेशा आई कॉन्टैक्ट रखकर बातें करें, खुली हथेलियां गंभीरता और रेसेप्टिविटी को दर्शाती हैं, करीब रहकर बात करना यानी इंटरेस्ट लेना और दूर होने का मतलब है बातचीत में ध्यान नहीं होना, रिलेक्स्ड पॉस्चर का मतलब होगा कि आप कम्युनिकेशन के लिए तैयार हैं। ऑफिस में हाथ बांधकर खड़ा नहीं होना चाहिए, यह डिफेंसिवनेस और विरोध का संकेत है। हाथ हिलाकर बातचीत करने से समझा जाता है कि आप बड़ी रुचि से बातें कर रहे हैं। मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नेगेटिव बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है। ऑफिस में कभी भी किसी भी स्तर के व्यक्ति से ऊंची आवाज और तेज स्पीड में बात नहीं करनी चाहिए। इससे आप अपने व्यक्तित्व की गंभीरता खो देंगे।

तो, फिर जुट जाइए मिशन बॉडी लैंग्वेज में। यकीन जानिए, करियर में जितनी महत्वपूर्ण जगह आप अपने काम से बनाएंगे है, उतने ही महत्वपूर्ण आप पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज को अपनाकर भी बन सकेंगे।

Sunday 13 November 2011

खुले मन से संवाद बढ़ाता है प्रेम


हेलो दोस्तो! डर से शायद ही किसी को एक पल के लिए भी मुक्ति मिलती हो। न जाने कितने प्रकार का डर हम अपने अंदर पाले रहते हैं। नए माहौल का डर, बिछुड़ने का डर, रोजगार जाने का डर, दूसरे की समृद्धि का डर, बदसूरत दिखने का डर, बुढ़ापे का डर, खोने का डर, चोरी का डर, बॉस का डर, भीड़-भाड़ का डर, सूनेपन का डर, भव्यता का डर, दूसरों की खुशियों का डर, अज्ञानता का डर, जानवरों का डर आदि-आदि। पर जिस डर से सबसे ज्यादा डर लगता है, वह है मनुष्य का सामना करने का डर। अपने जैसे ही किसी मनुष्य से संवाद बनाने में एक व्यक्ति सबसे ज्यादा डरता है। किसी मनुष्य से रूबरू होने में एक व्यक्ति को जितना संकोच, जितनी शंका और हिचकिचाहट होती है वह शायद ही किसी और परिस्थिति में होती है।

पति-पत्नी, माँ-बाप, बच्चे, भाई-बहन, सगे-संबंधी, आस-पड़ोस हो या दोस्त-अहबाब या प्यार करने वाले, आपस में संवाद बनाते वक्त किसी अनजाने डर के कारण सतर्क रहते हैं। यही वह स्थिति है जिसके कारण नए रिश्ते की शुरुआत नहीं हो पाती है। यह डर ही है जो अच्छे रिश्ते की संभावना को समाप्त कर देता है।

ऐसे ही डर से परेशान हैं संतोष, असीम, अमित, प्रवीण जैसे अनेक नौजवान। एक लड़की से मुखातिब होते समय इनकी हिम्मत जवाब दे देती है जबकि वे लड़कियाँ उन्हें देखकर अपने चेहरे पर पहचान का भाव लाती हैं। यूँ तो वे उनसे बहुत कुछ कहना चाहते हैं पर कह नहीं पाते हैं। उनके सामने जाते ही उनकी जुबान को ताला लग जाता है और उनकी घिग्घी बँध जाती है। वे हजार कोशिशों के बावजूद सामान्य नहीं रह पाते हैं। लड़की से कुछ न बोल पाने के कारण उनका मन घुटन से भर जाता है और बहुत सारा समय अपने ऊपर खीझने में बीत जाता है। उन्हें लगता है क्या करें जो वे इस समस्या से पार पाएँ।

जिन लड़कों की बचपसे महिला दोस्त नहीं रही हैं उन्हें ये समस्याएँ ज्यादा आती हैं। कई लड़के ऐसे भी बड़े होते हैं जिनके घर में रिश्तेदार हमउम्र बहनें नहीं होती हैं। ऐसे नौजवान लड़के नहीं समझ पाते हैं कि वे लड़कियों से कैसे बात करें। जीवन में लड़कियों से सामान्य दोस्ती नहीं होने के कारण जो पहली लड़की भाती है उसे जाने बिना ही वे दिल दे बैठते हैं या बहुत दूर की सोच लेते हैं। इसी कारण संकोच, घबराहट और भी बढ़ जाती है।

इतनी सारी अपेक्षाओं के बाद संवाद बनाने में डर तो लगेगा ही। अगर लड़की ने उसी लहजे और डिग्री में जवाब नहीं दिया तो ठुकराए जाने का भय भी कदम रोक देता है। जिस प्रकार कोई व्यक्ति नौकरी या काम लेने जाए तो सारी तैयारी और योग्यता के बावजूद इनकार का डर उस पर हावी रहता है क्योंकि उस वक्त वह सामने वाले के आकलन पर होता है। अगर हम कई साक्षात्कार दे चुके होते हैं और हमारे पास बेहतर विकल्प मौजूद होता है तो हमारा डर भी कम होता है।

उसी प्रकार यदि आप किसी व्यक्ति से चाहे वह लड़की या लड़का हो बिना किसी अपेक्षा से मिलें तो आपको उससे संवाद बनाने में डर नहीं लगेगा। यदि कोई साधारण सी बात का भी जवाब नहीं देती है तो उससे बात ही क्यों करनी है। आपने उससे टाइमटेबल पूछ लिया। किताब, नोटबुक या पेन माँग लिया और उसने सहजता से आपकी बातों का जवाब दे दिया, इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वह आपको प्यार करने लगी है। चार दिन की बातचीत के बाद यदि आप प्रेम पत्र पकड़ा दें तो वह लड़की अवश्य ही आपको भला-बुरा कहेगी।

जिन लड़कों को लड़कियों से बात करने में डर लगता है उन्हें केवल एक लड़की के बारे में नहीं सोचकर आगे बढ़ना चाहिए बल्कि कई लड़कियों से बातचीत करनी चाहिए ठीक वैसे ही जिस प्रकार आप किसी भी लड़के साथी से मुखातिब होते हैं। उनसे कोई विशेष अपेक्षा नहीं होती है तो कोई द्वंद्व भी मन में पैदा नहीं होता है। इसी प्रकार लड़कियों से भी पुरुष साथियों की तरह बात करनी चाहिए। समय बीतने के साथ-साथ ही पता चल सकता है कि उनमें से कोई अच्छी दोस्त या प्रेमिका बन भी सकती है या नहीं।

Sunday 6 November 2011

अपने व्यक्तित्व का विकास कैसे करे

किसी भी मनुष्य की पहचान उसके व्यक्तित्व से ही होती है। प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी को कभी भी असफलता का मुख नहीं देखना पड़ता, वे आसानी के साथ दूसरों को प्रभावित कर लेते हैं तथा उन्हें अपना मित्र बना लेते हैं।
नीचे कुछ बातें दी जा रही हैं जिनकी सहायता से हम अपने व्यक्तित्व का विकास करके स्वयं को प्रभावशाली कैसे बना सकते हैं:
दूसरों के प्रति स्वयं का व्यवहार
  • दूसरों को अपमानित न करें और न ही कभी दूसरों की शिकायत करें। याद रखें कि अपमान के बदले में अपमान ही मिलता है।
  • दूसरों में जो भी अच्छे गुण हैं उनकी ईमानदारी के साथ दिल खोल कर प्रशंसा करें। झूठी प्रशंसा कदापि न करें। यदि आप किसी की प्रशंसा नहीं कर सकते तो कम से कम दूसरों की निन्दा कभी भी न करें। किसी की निन्दा करके आपको कभी भी किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल सकता उल्ट आप उसकी नजरों गिर सकते हैं।
  • अपने सद्भाव से सदैव दूसरों के मन में अपने प्रति तीव्र आकर्षण का भाव उत्पन्न करने का प्रयास करें।
  • सभी को पसंद आने वाला व्यक्तित्व
  • दूसरों में वास्विक रुचि लें। यदि आप दूसरों में रुचि लेंगे तो दूसरे भी अवश्य ही आप में रुचि लेंगे।
  • दूसरों को सच्ची मुस्कान प्रदान करें।
  • प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसका नाम सर्वाधिक मधुर, प्रिय और महत्वपूर्ण होता है। यदि आप दूसरों का नाम बढ़ायेंगे तो वे भी आपका नाम अवश्य ही बढ़ायेंगे। व्यर्थ किसी को बदनाम करने का प्रयास कदापि न करें।
  • अच्छे श्रोता बनें और दूसरों को उनके विषय में बताने के लिये प्रोत्साहित करें।
  • दूसरों की रुचि को महत्व दें तथा उनकी रुचि की बातें करें। सिर्फ अपनी रुचि की बातें करने का स्वभाव त्याग दें।
  • दूसरों के महत्व को स्वीकारें तथा उनकी भावनाओं का आदर करें।
अपने सद्विचारों से दूसरों को जीतें
  • तर्क का अंत नहीं होता। बहस करने की अपेक्षा बहस से बचना अधिक उपयुक्त है।
  • दूसरों की राय को सम्मान दें। ‘आप गलत हैं’ कभी भी न कहें।
  • यदि आप गलत हैं तो अपनी गलती को स्वीकारें।
  • सदैव मित्रतापूर्ण तरीके से पेश आयें।
  • दूसरों को अपनी बात रखने का पूर्ण अवसर दें।
  • दूसरों को अनुभव करने दें कि आपकी नजर में उनकी बातों का पूरा पूरा महत्व है।
  • घटनाक्रम को दूसरों की दृष्टि से देखने का ईमानदारी से प्रयास करें।
  • दूसरों की इच्छाओं तथा विचारों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनायें।
  • दूसरों को चुनौती देने का प्रयास न करें।
अग्रणी बनें: बिना किसी नाराजगी के दूसरों में परिवर्तन लायें
  • दूसरों का सच्चा मूल्यांकन करें तथा उन्हें सच्ची प्रशंसा दें।
  • दूसरों की गलती को अप्रत्यक्ष रूप से बतायें।
  • आपकी निन्दा करने वाले के समक्ष अपनी गलतियों के विषय में बातें करें।
  • किसी को सीधे आदेश देने के बदले प्रश्नोत्तर तथा सुझाव वाले रास्ते का सहारा लें।
  • दूसरों के किये छोटे से छोटे काम की भी प्रशंसा करें।
  • आपके अनुसार कार्य करने वालों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन करें।