Monday 14 November 2011

समझें बॉडी लैंग्वेज

व्यक्ति की पर्सनालिटी में उसकी बॉडी लैंग्वेज महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बातचीत के दौरान व्यक्ति अपने हाथों, गर्दन, आंखों, उठने-बैठने के अंदाज में कई ऐसे भाव देता है जो उसकी सोच को दर्शाते हैं। यही बॉडी लैंग्वेज कहलाता है।
अगर आप बॉडी लैंग्वेज को समझते हैं तो बातचीत के दौरान आप सामने वाले की विभिन्न मुद्राओं को देखकर उसके मनोभावों को कहे बिना भी समझ सकते हैं। वहीं बॉडी लैंग्वेज की समझ रखने वाले इसका भरपूर फायदा उठाते हैं।

क्या कहती है बॉडी लैंग्वेज:

यदि बातचीत के दौरान कोई नाखून कुतर रहा हो या बार-बार अपनी नाक को छूता हो तो यह उसकी नर्वसनेस को दर्शाता है। वहीं कपड़े पकड़कर खींचना या मोड़ना भी नर्वसनेस और बेचैनी का परिचायक होता है।

जब कोई सामने वाले व्यक्ति से बातचीत करते हुए आराम से बैठा हो और उसके दोनों हाथ सिर के पीछे आपस में जुड़े हों तो यह इस बात का इशारा है कि वह व्यक्ति आत्मविश्वास से लबरेज है।

जब कोई व्यक्ति दोनों पैर मोड़कर बैठने (उकडू बैठने) की मुद्रा में हो तो और ऐसा लग रहा हो कि वह उठने के लिए तैयार है तो या फिर कुर्सी में बैठे हुए उसके दोनों हाथ घुटनों पर हों और ठुड्डी आगे की ओर झुकी हो तो यह दर्शाता है कि वह अपने कार्य के लिए तत्पर है।
अगर कोई व्यक्ति अपने दोनों हिप्स पर हाथ रखकर खड़ा हो जैसे कोई पुरुष अपनी पैंट के पीछे की दोनों जेबों में हाथ डाले खड़ा हो तो यह आक्रामकता का परिचायक होता है। यानी वह व्यक्ति आक्रामक हो सकता है।
बातचीत के दौरान कई बार व्यक्ति सामने वाले की बात बड़े ध्यान से सुनता है और अपनी गर्दन को एक ओर थोड़ा सो झुका देता है। यह इस बात का इशारा होता है कि वह बातों में रुचि ले रहा है। लेकिन अगर कोई बात सुनते हुए सिर थोड़ा नीचे झुका दे तो इसका अर्थ है कि वह आपसे बोर हो रहा है।
वहीं कई दफा यह स्थिति निर्णय लेने की स्थिति को भी दिखाती है।
अगर बातों के दौरान सामने वाला बार-बार अपनी बैठने की अवस्था या पहलू को बदल रहा हो तो ऐसे में मानना चाहिए कि वह आपकी बातों से परेशानी महसूस कर रहा है।
लेकिन जब कोई स्टूडेंट इस अवस्था में स्कूल के बरामदे में खड़ा हो या अपने क्लास में टहल रहा हो ऐसे में यह दर्शाता है कि वह व्यक्ति कुछ पढ़ने के लिए बेचैन है।

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