Monday 14 November 2011

हमारे जीवन पर बॉडी लैंग्वेज का प्रभाव


मौजूदा कॉर्पोरेट इंडिया को सिर्फ डिग्रियों से लैस एंप्लॉइज की तलाश नहीं होती, बल्कि यह जमाना स्मार्ट एंप्लॉई का है। स्मार्टनेस से मतलब ऐसे एंप्लॉई से है, जिसमें प्रफेशनल क्वॉलिफिकेशन तो हो ही, साथ ही वह सॉफ्ट स्किल्स से भी भरपूर हो। अगर आप भी ऑफिस में अपनी बॉडी लैंग्वेज पर खासा ध्यान देते हैं, तो आपकी यह कुशलता आपको बाकी लोगों से अलग बनाएगी।

अगर आप किसी व्यक्ति से फोन पर बात करें और उसी व्यक्ति से आमने-सामने बात करें, तो दोनों स्थितियों के नतीजों में जमीन-आसमान का अंतर हो सकता है। इसके पीछे है दोनों व्यक्तियों की बॉडी लैंग्वेज। दरअसल, बॉडी लैंग्वेज का प्रभाव हमारे जीवन के हर पल पर पड़ता है, भले ही हम इसे महसूस करें या नहीं? करियर में आगे बढ़ने के लिए भी जितनी जरूरी अच्छी परफॉर्मेंस है, उतना ही जरूरी है अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान देना।

इसके अलावा, अगर आपके अंदर अन्य लोगों की बॉडी लैंग्वेज पढ़ने का भी हुनर है, तो यह बात सोने पर सुहागा साबित होगी। अगर आप सेल्स के फील्ड में हैं, तो बॉडी लैंग्वेज समझने की कला आपके करियर को आगे बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हो सकती है। आपको अपने संभावित ग्राहक की बॉडी लैंग्वेज देखकर ही पता चल जाएगा कि वह व्यक्ति आपके प्रॉडक्ट में दिलचस्पी ले भी रहा है या नहीं?

हमारा दिमाग लगभग हर बॉडी पॉस्चर से निकलने वाले संकेत को समझ सकता है। सही बॉडी लैंग्वेज को सीखना फॉरन लैंग्वेज सीखने जैसा है। हमें रोजमर्रा की आदतों में कुछ बेसिक पॉस्चर्स पर ध्यान देना चाहिए, जैसे : हमेशा आई कॉन्टैक्ट रखकर बात करना, थोड़ी-सी मुस्कान का महत्व जानना, हाथ बांधकर बातें करने से बचना, खुली हथेलियां गंभीरता और रेसेप्टिविटी को दर्शाती हैं, हाथ हिलाकर बातचीत करने से समझा जाता है कि आप बड़ी रुचि से बातें कर रहे हैं, जबकि मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नेगेटिव बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है। आपके रिलेक्स्ड पॉस्चर का मतलब होगा कि आप कम्युनिकेशन के लिए तैयार हैं। ऑफिस में कभी भी किसी भी स्तर के व्यक्ति से ऊंची आवाज और तेज स्पीड में बात नहीं करनी चाहिए। इससे आप अपने व्यक्तित्व की गंभीरता खो देंगे।

चाहे आप ऑफिस में अपने कलीग्स से बातचीत करें या फिर अपनी डेस्क पर काम कर रहे हों, हमेशा अपनी बॉडी लैंग्वेज पर ध्यान दें। कम शब्दों में हम कह सकते हैं कि बॉडी लैंग्वेज एक ऐसा हुनर है, जिसे हम अपने मूवमेंट्स, पॉश्चर्स और वॉयस टोन से हासिल करते हैं।

बॉडी लैंग्वेज पढ़ें

ऑफिस में किसी भी व्यक्ति से बात करते समय शब्दों के अलावा सामने वाले की बॉडी लैंग्वेज पढ़ने की भी कोशिश करनी चाहिए। खुद को सामने वाले के साथ इस तरह रिलेट करना बेहद जरूरी है। इससे आपको यह पता चल सकेगा कि वह व्यक्ति आपकी बातों में दिलचस्पी ले भी रहा है या नहीं? अगर कोई शुरुआत में तो आई कॉन्टैक्ट रखकर बातें कर रहा है, लेकिन धीरे-धीरे आंखें बचाने लगता है, तो इसका मतलब है कि वह बातचीत में दिलचस्पी खो रहा है। ऐसे ढेरों संकेत आपको सचेत कर सकते हैं। इसके बाद आपको अपनी अप्रोच बदल देनी चाहिए। अगर आप बॉस के साथ बातें कर रहे हैं या कोई सवाल पूछ रहे हैं, तो अक्सर बॉडी लैंग्वेज पढ़ने से ही आपको अपने ज्यादातर जवाब मिल जाते हैं। अगर किसी व्यक्ति की जुबान कुछ और कह रही है और बॉडी लैंग्वेज कुछ और, तो उसकी बॉडी पर भरोसा कीजिए।

अकेले में प्रैक्टिस करें

अगर आप अपनी बॉडी लैंग्वेज से संतुष्ट नहीं हैं, तो घर पर शीशे के सामने इसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। ध्यान रखें कि आपकी बॉडी लैंग्वेज भी वही बोले, जो आप मुंह से बोल रहे हैं। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि आप क्या कहते हैं, बल्कि यह है कि आप इसे किस तरह कहते हैं? हमेशा मुस्कराते रहें। जो लोग अपने बारे में अच्छा सोचते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज अक्सर बेहतर होती है।

कुछ खास बातें

वैसे तो बॉडी लैंग्वेज पर बरसों से रिसर्च की जा रही है। अलग-अलग लोगों ने पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज के बारे में कई बातें बताई हैं, जिन्हें एक आर्टिकल में समेट पाना मुश्किल है। फिर भी मोटे तौर पर कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए, जिससे ऑफिस में आपकी इमेज एक अच्छे वर्कर की बन सके। चाहे बॉस हो या कलीग हमेशा आई कॉन्टैक्ट रखकर बातें करें, खुली हथेलियां गंभीरता और रेसेप्टिविटी को दर्शाती हैं, करीब रहकर बात करना यानी इंटरेस्ट लेना और दूर होने का मतलब है बातचीत में ध्यान नहीं होना, रिलेक्स्ड पॉस्चर का मतलब होगा कि आप कम्युनिकेशन के लिए तैयार हैं। ऑफिस में हाथ बांधकर खड़ा नहीं होना चाहिए, यह डिफेंसिवनेस और विरोध का संकेत है। हाथ हिलाकर बातचीत करने से समझा जाता है कि आप बड़ी रुचि से बातें कर रहे हैं। मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नेगेटिव बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है। ऑफिस में कभी भी किसी भी स्तर के व्यक्ति से ऊंची आवाज और तेज स्पीड में बात नहीं करनी चाहिए। इससे आप अपने व्यक्तित्व की गंभीरता खो देंगे।

तो, फिर जुट जाइए मिशन बॉडी लैंग्वेज में। यकीन जानिए, करियर में जितनी महत्वपूर्ण जगह आप अपने काम से बनाएंगे है, उतने ही महत्वपूर्ण आप पॉजिटिव बॉडी लैंग्वेज को अपनाकर भी बन सकेंगे।

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