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अब शादी के लिए घर-परिवार, पढ़ाई-लिखाई, सूरत-शक्ल, नौकरी-आमदनी और चरित्र देखने के साथ ही लड़कियाँ यह भी देखती हैं कि जिसके साथ उनका जीवन और भविष्य बँधने जा रहा है, क्या वह उनके सपनों को समझेगा? चाहे वे सपने कितने भी छोटे-छोटे क्यों न हों! क्या वह उन्हें पूरा करने के प्रति उतना संवेदनशील होगा?
कि मैं पति के रूप में ऐसा साथी चाहती हूँ, जो पति होने से पहले मेरा दोस्त हो, जो मेरी भावनाओं को समझे। शादी के बाद मेरी प्राथमिकता परिवार व अपने रिश्ते के प्रति ही होगी, लेकिन मैं अपने करियर में भी आगे बढ़ना चाहती हूं तो वह मुझे सहयोग करे, न कि मेरी प्रतिभा को दबाए। मेरी गलती होने पर बेशक वह मुझे बताए। मेरा मानना है कि सफल वैवाहिक जीवन के लिए यह बहुत जरूरी है कि दोनों एक-दूसरे के सपनों को समझें और उन्हें मिलकर पूरा करें। अब लड़कों की तरह लड़कियों के भी अपने सपने होते हैं, जिनके पूरा होने की आशा वे बरसों तक मन में संजोकर रखती हैं। जब पत्नियां अपने पति के सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान से कोशिश करती हैं तो पति को भी पत्नी का सहयोग करना चाहिए।
एमसीए की पढ़ाई कर रही पूजा आर्य का ख्वाब है कि मेरा भावी जीवनसाथी भौतिक जरूरतों के साथ मेरी मानसिक रुचि को भी समझे। जैसे कई सालों से मैं सोच रही हूं कि मेरी पर्सनल बड़ी-सी लाइब्रेरी हो। मुझे किताबें पढ़ने का शौक है तो मेरा पति उसे समय की बर्बादी या बेकार का शौक न माने। वह समझे कि किताबें पढ़ने से मेरे मन को शांति मिलती है, मेरे मन को अच्छा लगता है। वे बताती हैं कि मेरी दादीजी की बहुत इच्छा थी कि घर में एक गाय हो, ताकि वे उसकी सेवा कर सकें, लेकिन दादाजी ने कभी उनकी इच्छा पूरी नहीं होने दी। उनकी यह आस अधूरी रह जाने की टीस उनके मन में बुढ़ापे तक है।
लड़कियों के लिए 'सपनों का राजकुमार' मिलना आज भी सपना ही है। ज्यादातर लड़कियों को अपनी जिंदगी में कई समझौते और त्याग करना पड़ते हैं। जहां तक लड़कियों के सपनों को समझने की बात है, तो भारतीय समाज में अभी भी पति अपनी पत्नी के लिए खुले दिमाग से नहीं सोच पाते
बातों ही बातों में वे मुझसे अक्सर इस बात का जिक्र करती हैं और इस दौरान उनके चेहरे पर छाई उदासी देखकर मुझे बड़ा खराब लगता है। दादी ने उम्रभर दादाजी का साथ दिया, तो क्या उनका फर्ज नहीं था कि वे भी दादी की इच्छा का सम्मान करें! मैं नहीं चाहती कि मैं अपने मन में कोई आस लिए ही जिंदगी गुजार दूं और बुढ़ापे में ख्वाब पूरा न कर पाने की टीस मेरे मन में रहे, इसलिए मैं ऐसा जीवनसाथी चाहती हूं जो मेरे सपनों को समझे।फैशन डिजाइनिंग कर चुकीं संस्कृति शर्मा जीवन की हर बात व्यावहारिक धरातल पर सोचती हैं। वे कहती हैं कि निःसंदेह लड़कियां अपने मन में अपने होने वाले पति को लेकर बहुत-से खूबसूरत ख्वाब मन में संजोती हैं। उन्हें लगता है कि उनका पति हर दुख में, हर सुख में उनका साथ देगा। यदि वे पति के लिए हर बात का खयाल रखेंगी तो पति भी उनका खयाल रखेगा, जबकि बहुत कम लड़कियों के साथ ऐसा होता है।
लड़कियों के लिए 'सपनों का राजकुमार' मिलना आज भी सपना ही है। ज्यादातर लड़कियों को अपनी जिंदगी में कई समझौते और त्याग करना पड़ते हैं। जहां तक लड़कियों के सपनों को समझने की बात है, तो भारतीय समाज में अभी भी पति अपनी पत्नी के लिए खुले दिमाग से नहीं सोच पाते हैं।
रचना ने कभी यह तो नहीं सोचा था कि फाईन आर्ट में पीजी करने के बाद वह इसे करियर बनाएगी, लेकिन धीरे-धीरे उसे यह महसूस होने लगा कि पेंटिंग करना उसे खुशी देता है, उसे ऊर्जा से भर देता है। अब जबकि वह शादी करने के बारे में सोच रही है तो उसे ये लगता है कि वह पेंटिंग करती रहेगी। वह चाहती है कि जिस किसी से भी उसकी शादी हो, वह उसके इस शौक को समझे और इसे बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित भी करे और सहयोग भी।
अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि सबसे सफल शादियां वे होती है जिनमें पति-पत्नी दोनों तरक्की करते हैं, दोनों जीवन में आगे बढ़ते हैं। भारतीय समाज में अधिकांशतः अब तक यही होता आया है कि पति अपने करियर और सपनों को लेकर बहुत सजग होते हैं। वे जो सोचते है, उसे पूरा कर लेते हैं और पति के सपनों को पूरा करने में भारतीय पत्नी भी अपना पूरा सहयोग करती रही है।
चाहे उसके लिए उसे अपनी इच्छाओं का दमन क्यों न करना पड़ा हो। लेकिन अब लड़कियां अच्छी शिक्षा और अच्छा रोजगार प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। तो वे भी अपनी अभिलाषाओं को पूरा करने उद्यत हैं। अब वे ऐसा साथी चाहती हैं जो हर कदम पर उनका साथ दे। उनकी छोटी-छोटी ख्वाहिशों का भी जीवन में बड़ा महत्व समझे। पति अब पत्नियों की छोटी-बड़ी ख्वाहिशों को नजरअन्दाज न करें क्योंकि सफल वैवाहिक जीवन के लिए यह जरूरी हो गया है कि दोनों खुश रहें, दोनों तरक्की करें।
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