Monday 2 May 2011

रोमांस की बदलती परिभाषाएँ

पुराने समय का रोमांस शायद कहीं अधिक रोमांटिक था, लुक-छिपकर एक-दूसरे को निहारना, लंबी सैर पर निकल जाना, कॉफी की चुस्कियाँ लेना और एक-दूसरे का हाथ पकड़ना आदि। स्पर्श के इस रोमांच को प्रेमी युगल कई दिनों तक नहीं, महीनों-सालों तक महसूस करते थे।


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रोमांस के नाम पर मन में जोश और उत्साह होता था। रोमांस का जिक्र आते ही होठों पर खिली शर्मीली मुस्कुराहट तो दिखाई दे जाती थी, लेकिन मन में फूटते लड्डुओं का अंदाजा मात्र चेहरे को देखकर लगानमुश्किहोतथा

दूसरी तरफ आधुनिक रोमांस की गति इतनी तेज है कि प्रेमी युगल के पास उसे महसूस करने के लिए, उन क्षणों को जीने के लिए समय ही नहीं है। आज का हाईटेक रोमांस भाषा-प्रधान है, जो ई-मेल, चैटिंग और एसएमएस द्वारा तुरंत संचारित होता है। आज रोमांस को समय और दूरी का मुँह नहीं ताकना पड़ता। अब रोमांस का स्थान डिस्को, पार्टियों, डेटिंग आदि ने ले लिया है जहाँ शोरशराबे में इच्छाएँ-कामनाएँ पहले ही खत्म हो जाती हैं।

अंत में यही कहा जा सकता है कि रोमांस का भाव स्थायी नहीं है, बल्कि संचारी है। जो किसी विषय, वस्तु या फिर व्यक्ति विशेष के बारे में सोचते हुए तन-मन में संचारित होता है और कुछ भी पलों में गायब भी हो जाता है। प्रेम और रोमांस दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। इनके बिना जीवन ऐसे रेगिस्तान के समान है, जहाँ कभी कुछ नहीं खिल सकता।

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